रविदास मंदिर का टूटना और मोदी सरकार
~दिलीप मंड़ल
एससी-एसटी एक्ट को बेअसर करने का सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला जस्टिस आदर्श गोयल और ललित की बेंच ने दिया था।
मोदी सरकार ने रिटायर होते ही जस्टिस गोयल को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जैसे शानदार पद पर बैठाकर पुरस्कृत किया। इसका विरोध ख़ुद केंद्रीय मंत्रियों ने किया।
लेकिन सरकार मन बना चुकी थी कि एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ फ़ैसला देने वाले जज को इनाम देना है।
इसके बाद कोई भी जज एससी-एसटी मामलों में सामाजिक न्याय के पक्ष में फ़ैसला क्यों देगा?
दिल्ली के संत रविदास ऐतिहासिक मंदिर मामले में केंद्र सरकार की यही भूमिका है।
केंद्र सरकार ने एक तरह से तय कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट से एससी-एसटी मामलों में कैसे फ़ैसले आएँ।
भारत का लगभग हर मंदिर ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़ा करके बना है। शायद ही किसी मंदिर के पुजारी के पास ज़मीन के पक्के काग़ज़ हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की नज़र में सिर्फ संत रविदास का मंदिर यानी गुरुघर अवैध ज़मीन पर बना है। वह भी तब जबकि वह लोदी वंश के समय नवाबों की दी हुई ज़मीन पर बना है।
सुनिए जस्टिस मिश्रा और जस्टिस शाह,
कंटेप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट, 1971 की धारा पाँच के तहत मिले अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए मैं आपके इस निर्णय की आलोचना करता हूँ।
आपका फ़ैसला असंगत, अतार्किक, दोषपूर्ण और तथ्यों की अनदेखी करने वाला है।
~वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल
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