मुख्यधारा की मीडिया को राम से इतनी भक्ति और रैदास से इतनी घृणा क्यों है?
By-डॉ सिद्धार्थ रामू~
मुख्य धारा की मीडिया की नजर में राम मंदिर के लिए दंगा करने वाले और न्यायालयों को ठेंगा पर रखकर बाबरी मस्जिद तोड़ने वाले रामभक्त और कार सेवक होते हैं और रैदास मंदिर के लिए संघर्ष करने वाले दंगाई होते हैं।
सबको याद होगा कि किस तरह राम मंदिर को आंदोलन को जनांदोलन बनाने में मुख्य धारा की मीडिया की अहम भूमिका रही है। मीडिया ने राम मंदिर के लिए आडवाणी की रथयात्रा, बजरंगदलियों के उत्पात और मस्जिद तोड़ने वालों को कार सेवक पुकार ऐसा माहौल बनाया जैसे ये लोग राष्ट्र निर्माण का कोई महान कार्य कर रहे हैं।
सुप्रीमकोर्ट में रामंदिर मुद्दे पर सुनवाई की रिपोर्ट देखकर कोई समझ सकता है कि कैसे राममंदिर के पक्ष में माहौल बनाने में मीडिया लगी हुई है।
वही मीडिया रैदास मंदिर के सवाल पर या तो चुप्पी साधे है या इसके लिए संघर्ष करने वालों को दंगाई-बलवाई कहकर पुकार रही है। हजारों लोगों की उपस्थिति की मीडिया ने कोई नोटिस ही नहीं लिया। जो लोग मिथकीय राम की जगहों को खोज निकालते हैं। उन्होंने रैदास के बारे में कुछ खोजने या लिखने की जरूरत नहीं समझी।
यह है मीडिया पर सवर्णों के वर्चस्व का नूमना।
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