जातिव्यवस्था पर चोट करने वाले ज्योतिबा फुले जीवनभर ब्राह्मणवाद से लड़ते रहे
BY: Ankur Sethi
आज भारतीय इतिहास के एक महान विचारक, समाज सुधारक, लेखक महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले की जयंती है. उनका जन्म आज ही के दिन 11 अप्रैल 1827 को हुआ था.
इनके पिता का नाम गोविंदराव फुले व माता का नाम विमला बाई हैं. जाने-माने समाज सुधारक और बहुजन एवं महिला उत्थान के लिए जीवन न्योछावर करने वाले ज्योतिबा फुले एक महान शख्सियत है. जिन्हें महात्मा फुले और ज्योतिबा फुले के नाम से जाना जाता है.
उनका परिवार कई पीढ़ी पहले महाराष्ट्र के सतारा से पुणे आकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करने लगा था. इसलिए माली के काम में लगे इन लोगों को ‘फुले’ के नाम से जाना जाने लगा. ज्योतिबा ने कुछ समय तक मराठी में अध्ययन किया, बीच में पढ़ाई छूट गई और बाद में 21 साल की उम्र में अंग्रेजी के ज्ञान के साथ सातवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की.
ज्योतिबा फुले बहुजन वर्ग से आते हैं इन्होंने भारतीय धर्म और संस्कृति का विश्लेषण किया तो दो बातें जोर देकर कहीं थी। पहली ये कि भारत के ब्राह्मण धर्म के लिए शूद्र और स्त्रियां एक ही श्रेणी में आती हैं और दूसरी बात ये कि इस देश की नैतिकता और न्याय में बदलाव और सुधार के खिलाफ रचे गए इस षड्यंत्र के लिए ब्राह्मणवाद के बहिष्कार के साथ शिक्षा को अपनाना जरूरी है.
उन्होंने भारतीय समाज में फैली अनेक कुरूतियों को दूर करने के लिए अपार संघर्ष किया. अछुत उद्वार, नारी-शिक्षा, विधवा–विवाह, बाल विवाह और किसानो के हित के लिए ज्योतिबा ने उल्लेखनीय कार्य किया है.
मराठी समाजसेवी ज्योतिबा फुले ने निचली जातियों के उत्थान के लिए लगातार काम किया था. साल 1873 के सितंबर महीने में उन्होंने ‘सत्य शोधक समाज’ नामक संगठन का गठन भी किया था. वे बाल-विवाह के बड़े विरोधी और विधवा-विवाह के पुरजोर समर्थक थे.
ज्योतिबा फुले ने ब्राह्मणवाद को दुतकारते हुए बिना किसी ब्राम्हण-पंडित पुरोहित के विवाह-संस्कार शुरू कराया और बाद में इसे मुंबई हाईकोर्ट से मान्यता भी दिलाई. उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले भी एक समाजसेविका थीं. उन्हें भारत की पहली महिला अध्यापिका और नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता कहा जाता है. अपनी पत्नी के साथ मिल कर स्त्रियों की दशा सुधारने और उनकी शिक्षा के लिए ज्योतिबा ने 1848 में एक स्कूल खोला। यह इस काम के लिए देश में पहला विद्यालय था।
चूंकि वर्तमान दौर में भी ढेरों कुरीतियां समाज में मौजूद हैं जिनको खत्म करने कि लिए ज्योतिबा फूले जैसे महापुरूष का अनुसरण करना बहुत जरूरी है इसलिए ज्योतिबा फूले की जीवनी और उनके उल्लेखों को भारतीय शिक्षा के सभी पाठ्यक्रमों में छात्रों तक पहुंचाना बहुत जरूरी है जिसके लिए पहल मौजूदा सरकारों को करनी चाहिए .
Remembering Maulana Azad and his death anniversary
Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…