मेनस्ट्रीम मीडिया: दिलीप हत्याकांड का जिक्र भी नहीं, प्रिया की आंखों का इशारा बना सबसे बड़ा मुद्दा
By: Sushil Kumar
इलाहाबाद में एलएलबी कर रहे दिलीप सरोज की हत्या को लेकर पूरे देश के बहुजन समाज में भयंकर आक्रोश है। दिलीप को इंसाफ दिलाने के लिए हजारों लाखों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। तमाम प्रदर्शन और नारेबाजी की जा रही हैं। सवाल यह नहीं है कि एक दिलीप की हत्या हुई है, बहुजनों पर जुल्म का यह कोई पहला मामला नहीं है। जिक्र चाहें उनाकांड का करें, सहारनपुर हिंसा का करें, रोहित वेमुला का करें या फिर भीमाकोरेगांव हिंसा का करें, यह वो सब घटनाएं हैं जिन्होंने साबित कर दिया है कि बहुजनों के प्रति उंची जाति के लोगों की मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आया है। बहुजनों पर जुल्म अत्याचार का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक वीडियो पूरे देश के लिए सबसे बड़ा मुद्दा बन गई है। वीडियों में एक काल्पनिक फिल्म का छोटा सा सीन है। जिसमें एक लड़की, एक लड़के की तरफ आंखो से इशारा करती दिखाई दे रही है। मामूली सी बात लेकिन टीआरपी की भूखी मेनस्ट्रीम मीडिया ने इस वीडियो को सबसे गंभीर सबसे बड़ा इश्यू बना दिया….मानों जैसे देश में इसके अलावा कोई समस्या ही नहीं है!
सरेआम लोगों का कत्ल किया जा रहा है, बस में लड़कियों के साथ मास्टरबैशन जैसी गंदी हरकतों को अंजाम दिया जाता है। लूट, चोरी, डकैती हर स्तर पर अपराध चरम पर है लेकिन हमारे देश बड़े-बड़े नेशनल टेलीविजन एक फिल्म के छोटे से सीन पर बड़ी-बड़ी चर्चा में लग गए हैं। अजीब बात है किसी की हत्या कर दी जाती है और उसका जिक्र करना भी जरुरी नहीं समझा जाता और कोई आंख मार देता है हमारे देश के लिए नेशनल मुद्दा बन जाता है। सवाल इस बात का है कि आखिर क्यों इतने बड़े-बड़े एंकर पत्रकार बुद्धीजीवियों का ज्ञान बस एक काल्पनिक किरदार की आंखो के इशारों में उलझ गया है। आखिर कब असल मुद्दों पर काम करेगी देश के लोकतंत्र का चोथा स्तंभ कहे जाने वाली मीडिया, क्यों पत्रकारिता की गरीमा को मिट्टी मिलाया जा रहा है?
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