किस हद तक होली पर बुरा नहीं माना जाए ?
By- Aqil Raza
आज देशभर में होली का त्योहार मनाया गया। इस होली के त्योहार पर एक दूसरे के ऊपर रंगो की बोछार की गई। आपने ज़रूर ये देखा होगा कि कुछ लोग रंग लगाने से बचते हैं तो कुछ लोग ज़बरजस्ती रंग लगाने की कोशिश करते हैं। और इस जबरजस्ती के रंग लगाने, गुब्बारे फैंकने, और पानी डालने को लेकर कई विवाद भी सामने आ चुके हैं।
एक सबसे जरूरी बात ये है कि होली के बहाने मनमानी करने के बाद कुछ शरारती तत्व स्लोगन देतें है कि बुरा न मानों होली है, लेकिन सवाल इस बात का है कि बुरा क्यों नहीं माना जाए, और आखिर किस हदतक बुरा नहीं माना जाए।
ताज़ा हुई घटनाओं पर आते हैं, जिन घटनाओं ने इंसानियत को शर्मसार करकर रख दिया है, इन घटनाओं की शुरुआत दिल्ली से हुई जहां पर अलग अलग कॉलेज की छात्राओं ने ये आरोप लगाया कि होली के बहाने उनके साथ अश्लील हरकते की जाती हैं, साथ ही उनके ऊपर होली के गुब्बारों में स्पर्म भरकर फैंका जाता है। इस घटना को लेकर दिल्ली पुलिस को लिखित में शिकायत भी मिली और छात्राओं ने इस तरह की अश्लील घटनाओं के विरोध में धरना प्रदर्शन भी किया।
अब ज़रा सोचिए की होली का नाम देकर किसी छात्रा के ऊपर स्पर्म से भरा गुब्बारा फैंकना कौन सी घिनोनी सोच को दर्शाता है, और उसके ऊपर से कहा जाता है कि बुरा न मानो होली है। ज़रा सोचिए की पहले सिर्फ रात को निकलने में लड़की अपने आप को अकेला और असहज महसूस करती थी, लेकिन क्या अब त्योहारों पर भी किसी की बेटी बहन घर से बाहर नहीं जा सकती। कौन से समाज में जी रहे हैं हम जहां एक त्योहार को मोहरा बनाकर बहशी दरिंदे अपनी गंदी सोच के साथ अश्लील हरकतें कर रहे हैं।
ये तो वो है जो उजागर हो चुका है अब ऐसे न जाने कितने मामले होंगे जिन्हें लाज और शर्म की वजह से छुपा लिया गया होगा। कुछ तस्वीरें ऐसी भी हैं इस त्योहार की जिसमें कपड़े फटे और शराब के नशे में सड़क के किनारे पड़े लोग दिखाई दे रहे हैं… क्या यही है इस त्योहार का मतलब कि जो चाहो वो करो, और किसी के भी साथ करो, और अगर वो बुरा माने तो उससे कहा जाए की बुरा न मानो होली है।
हमारा मकसद त्योहार या त्योहार के मनाने वालो को ठेस पहुंचाना नहीं है, हमरा मकदस उन लोगों को उजागर करना है, जो इस त्योहार की आड़ में अपनी गंदी मानसिकता का मुज़ाहिरा पेश करते हैं। लेकिन सवाल ये है कि अगर होली है तो किस हद तक बुरा नहीं माना जाए।
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