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Delhi-NCR - International - Opinions - Social - State - August 6, 2019

डॉक्टर हर्षदीप काम्बले ने सूरज के अंधेरे जीवन को रोशनी से जगमगाया

किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, जीना इसी का नाम है, ज़िन्दगी के ये फलसफा अगर हर कोई आजमा ले तो ये दुनिया कितनी खुशनमा हो सकती है, दुनिया में ऐसे लोग काफी कम होते है जो अपने लिए नहीं सोसाइटी के लिए जीते है, इन्ही लोगों में से एक नाम है डॉ. हर्षदीप काम्बले. इस सीनियर IAS ऑफिसर की दानभावना तथा निरतंर प्रयासों से महाराष्ट्र के यवतमाल जैसे बैकवर्ड कहे जाने वाले एरिया से सूरज डांगे नाम का यह लड़का आज अमेरिका में उच्च शिक्षा की पढाई करने जा रहा है।
डॉ. हर्षदीप काम्बले 2007 में जब यवतमाल के कलेक्टर थे, उस वक्त समता पर्व (महात्मा ज्योतिबा फुले और डॉक्टर बाबासाहेब अम्बेडकर के जयंती के उपलक्ष में समता पर्व की शुरूवात की थी, जो आजतक निरंतर जारी है) के माध्यम से आयोजित वक्तृत्व स्पर्धा में उन्होंने सूरज की स्पीच सुनी थी, डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर पर दी हुई सूरज की प्रभावशाली स्पीच, शब्दों की जादू से उसे इस स्पर्धा में पहला स्थान प्राप्त हुआ, सूरज और उसके माता-पिता को कलेक्टर के बंगले में स्नेहभोज के लिए आमंत्रित किया गया. सूरज के पिता देवानंद डांगे एक खेत मजदुर है, बकरी चराने का काम करते है, पहली बार किसी कलेक्टर ने उन्हें दावत पे बुलाया था, उस वक्त सूरज ने डॉ. हर्षदीप काम्बले सर से कहा की में खूब पढना-लिखना चाहता हूँ, हर्षदीप सर ने उसके माता-पिता से कहा जिस तरह प्रतिकूल स्थितियों में भी डॉ.बाबासाहब अम्बेडकर ने उच्च शिक्षा हासिल की, इसे भी हमें पढाना होंगा, सर, ने उन्हें हरसम्भव मदत करने का आश्वासन दिया।
इस तरह सुरज की शिक्षा का मिशन आरंभ हुआ, घाटंजी तहसील के बेलोरा के नवोदय स्कूल के लिए छटी कक्षा के लिए सूरज का सेलेक्शन हुआ, इसके बाद इस बच्चें ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, पढाई में काफी तेज होने के कारण लगभग हर साल पहला नंबर मिलता गया, हमेशा वोह सर को कॉल करके उनसे INSPIRATION प्राप्त करता था, सर, उसे हमेशा यही कहते थे, अभिन्दन बेटा, तुम्हे और आगे जाना है, इस तरह उसकी हौसलाअफजाई करते थे। और उस स्कूल की हर ज़रूरतों के लिये पैसे भेजते थे |
10 वी कक्षा की परीक्षा मेरिट में पास करने के बाद हैदराबाद के नारायण जूनियर कॉलेज में उसे IIT JEE की पढाई के लिए डॉ. हर्षदीप काम्बले सर ने आर्थिक मदत की, और यही से सुरज के जीवन को एक नई दिशा मिली। घर में कई बार ऐसा वक्त आया जब अनाज का दाना नहीं था, लेकिन पढने की जिद्द, *डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर का आदर्श और डॉ. हर्षदीप काम्बले सर का निरंतर मार्गदर्शन और मदत के कारण सूरज ने IIT JEE की परीक्षा पास की, इसके बाद IIT चेन्नई में ऐरो स्पेस में इंजीनियरिंग में एडमिशन की*, जब भी आवश्यकता लगी सर ने हमेशा मदत का हाथ आगे किया, लगातार 12 साल तक डॉक्टर काम्बले सूरज को गाइड किया, सूरज की राह कुछ अलग ही थी, उसने डॉ. हर्षदीप काम्बले से विचारविमर्श करके MS के लिए अमेरिका जाने की इच्छा जाहिर की, *सूरज की मेहनत, लगन और इच्छा को देखकर सर ने उसे अमेरिका भेजने के लिए अपने विशाल ह्रदय का परिचय देते हुए उसका सर खर्चा उठाने की जिम्मेदारी ली।
अमेरिका के विश्वविख्यात Indiana प्रांत के *Purdue University में एरोस्पेस इंजीनियरिंग में में MS करने के लिए उसका पासपोर्ट से लेकर हवाई जहाज का किराया, रहने/खाने की व्यवस्था सर की दानभावना से संभव हुआ.
आने वाले 9 अगस्त 2019 को सूरज अमेरिका रवाना होने वाला है।
समता पर्व के माध्यम से इस बच्चें की शिक्षा की जिम्मेदारी हर्षदीप सर ने उठाई, लेकिन सूरज यह अकेला उदाहरण नहीं है ऐसे लगभग 40 बच्चें-बच्चियां आज डॉ. हर्षदीप सर के मार्गदर्शन अलग-अलग जगह शिक्षा प्राप्त कर रहे है।
जब इस संदर्भ में सूरज से बात हुई तो वो काफी खुश था, उसने कहा की सामाजिक सन्दर्भ में डॉ. हर्षदीप सर का कार्य काफी सराहनीय है. उनके कारण कई लोगों की जिंदगियां Transform हुई है. डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर को इसी तरह के अधिकारी अपेक्षित है, जो अपने साथ-साथ समाज के लिए भी जिये. सर ने जो आर्थिक और बौद्धिक मार्गदर्शन किया है उसीके कारण आज में इस मक़ाम पर आया हूँ. मुझे और आगे जाना है, मेरे लिए ख़ुशी की बात है की डॉ. अम्बेडकर की तरह मुझे भी अमेरिका में उच्च शिक्षा की पढाई के लिए जाने का मौका मिला है’. मैं भी उनकी PAY BACK TO SOCIETY करूंगा।
सूरज के अंधेरे लाइफ को जगमगाने का काम डॉ. हर्षदीप सर ने किया है, उनके जैसा व्यक्तिमत्व समाज के लिए प्रेरनादायी है’.यवतमाल में कलेक्टर रहते हुए उन्होंने आदिवासी बच्चों को शिक्षा के मुख्य प्रवाह में जोड़ने के लिए काफी प्रयास किए. आर्नी तहसील में नाथजोगी समाज के समाज के लिए निवासी स्कूल, इतना ही नहीं गुन्हेगार का कलंक माथे पे लिए घुमने वाले फासे पारधी समाज के लोगों से कलेक्टर के नाते संवाद करके उनके भी लाइफ में ट्रांसफॉर्मेशन लाया।
इस पारधी बेडे के अजूबा भोंसले (पुलिस पाटील), शारदा पवार (नर्स), तेजू पवार (बस ड्राईवर), अन्जुता भोसले जैसे लड़के के आज जॉब्स कर रहे है, ये सर के प्रयासों का ही परिणाम है की आज सभी वर्ग के युवाओं के वो प्रेरणास्त्रोत बने है।
इसी तरह से समाज के सभी घटकों के आगे लाने के लिए हर ऑफिसर, तथा हर उस व्यक्ति ने प्रयास करने चाहिए. जो सक्षम है, सधन है।
*अपने लिए जिए तो क्या जिये , ऐ दिल तू जी ज़माने के लिए*
संपादन- सुशील कुमार

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