गढ़ में घुसकर संघ को चुनौती दे रही हैं डॉ. मनीषा बांगर
Published By- Aqil Raza
BY – संतोष यादव
प्राख्यात चिकित्सक व समाज सेविका डॉ. मनीषा बांगर नागपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं। वहीं नागपुर जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय है। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब बहुजन समाज ने ब्राह्मणवादी विचारों के पोषक आरएसएस को चुनौती दी है। डॉ. अम्बेडकर ने नागपुर में ही लाखों लोगों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया था।
एक बार फिर ब्राह्मणवादियों को चुनौती दी जा रही है। डॉ. बांगर केंद्रीय मंत्री और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गडकरी के खिलाफ लड़ेंगी। इस संबंध में उन्होंने बताया कि उनकी यह लड़ाई ब्राह्मणवादी पितृसत्ता के विचारों को संपोषित करने वाली ताकत के खिलाफ है। आरएसएस का इतिहास ही ऐसा रहा है। वह संविधान के बदले मनुस्मृति के सहारे देश चलाना चाहता है। लेकिन अब इस देश के बहुजन जाग चुके हैं। इसका प्रमाण पिछले वर्ष 2 अप्रैल को मिल चुका है जब एससी-एसटी एक्ट को कमजोर करने के खिलाफ पूरे देश के वंचित समाज के लोगों ने अपनी एकजुटता दिखाई थी और केंद्र सरकार को घुटनों पर ला दिया।
बताते चलें कि डॉ. बांगर पेशे से चिकित्सक हैं। वह मानती हैं कि भारतीय समाज में अभी भी चारवर्णी व्यवस्था के कारण लोगों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। डॉ. आंबेडकर के बनाए संविधान के आधार पर आरक्षण के प्रावधान हैं, लेकिन उन्हें ईमानदारी से लागू नहीं किया जा रहा है। इसी प्रकार ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना है। एक तरफ तो 54 प्रतिशत आबादी को यह आधा-अधुरा अधिकार चालीस वर्षों के बाद दिया गया और वह भी पूरी तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है। क्रीमी लेयर का राइडर लगाकर इसकी पूरी कोशिश की गयी है कि सरकारी सेवाओं में ओबीसी के लोग न जा सकें।
डॉ. बांगर के मुताबिक उनकी लड़ाई इन्हीं मुद्दों पर आधारित है। उन्हें विश्वास है कि नागपुर की जनता बहुसंख्यकों के साथ अन्याय के खिलाफ इस लड़ाई में उनका साथ देगी। उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने पांच वर्षों के दौरान अपने किसी वादे को पूरा करने में विफल रही है। बेरोजगारी की दर दुगनी हो गई है। सच छिपाने के लिए सरकार ने पिछले तीन वर्षों से बेरोजगारी के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए हैं। किसानों से किया वादा भी सरकार पूरा नहीं सकी है। ऐसे में पूरे देश की तरह नागपुर की जनता भी आक्रोशित है।
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