मायदेशी परतताना कामगार रागात, सरकारची दखल घ्या?
पण पीपीई किट बनवण्याबाबत चांगली कल्पना आहे.. पण पीपीई किट बनवण्याबाबत चांगली कल्पना आहे. 50 दिवस उलटून गेले तरी विविध राज्यात अडकलेल्या मजुरांचा प्रश्न संपण्याचे नाव घेत नाही.. कई मजूदर घर वापस पहुंच गए है लेकिन अब भी सैंकड़ों मजदूर पैदल जाने को मजबूर है. इसी बीच उनको पुलिस की रोक-टोक का सामना भी करना पड़ रहा है. जिसके बाद मजदूरों ने प्रदर्शन शुरु कर दिया है.
खरंच, देश के कई राज्यों से मजदूरों के घरवापसी के लिए प्रदर्शन की घटनाएं सामने आ रही है. बीते दो दिनों से मजदूरों का यह प्रदर्शन तूल पकड़ रहा है. ये प्रदर्शन मथुरा, पंजाब, अलवर,आगरा, संगरु और भिवाड़ी जैसे कई जगहों पर जारी है. मजदूरों में उनके जाने की व्यवस्था ना होने पर आक्रोश का माहौल बना हुआ है.
वहीं यमुना एक्सप्रेसवे पर कुछ मजदूर घर जा रहे थे, रोके जाने के बाद मजदूरों ने पूरा हाईवे ही जाम कर दिया. वे साइकिल से घर जा रहे थे, पुलिस ने उन्हें आगरा-मथुरा बार्डर पर रोक दिया. जिसके बाद गुस्साएं मजदूरों ने यमुना एक्सप्रेसवे पर जाम लगा दिया. जाम लगने की खबर मिलते ही इलाके में हड़कंप मच गया है. इसके अलावा पंजाब के संगरूर में भी वेतन ना मिलने और जबरन मजदूरी कराने पर मजदूरों ने विरोध किया. राजस्थान के अलवर और भीलवाड़ा में वेतन नहीं मिलने से सड़क पर मजदूरों ने जमकर प्रदर्शन किया. मजदूरों के हंगामें को देखते हुए पुलिस ने लाठीचार्ज किया.
इसके अलावा संगरू के एक प्राइवेट मिल के मजदूरों ने गुरुवार को जमकर प्रदर्शन कर बवाल काटा. मिल के मालिक पर मजदूरों का आरोप है कि उनको सैलरी काट कर दी जा रही है. जिसको लेकर मजदूरों का गुस्सा भड़का. तो वहीं भीलवाड़ा-चित्तौडगढ़ में भी एक फैक्ट्री के मजदूरों ने दो महीने की सैलरी के लिए आक्रोश जाहिर कर प्रदर्शन किया. पुलिस ने मजदूरों को हटाने के लिए लाठीचार्ज भी किया लेकिन मजदूरों ने तब तक नही हटने ठानी है जब तक उनकी मांगे नही मानी जाती. इसके अलावा उनका कहना है कि मांगे पूरी होने तक काम भी ठप्प रहेगा.
बता दें कि मजदूर इस समय काफी सहमा हुआ है. लॉकडाउन के कठिन समय में ना ही सैलरी मिल रही है, ना ही घर जाने का कोई साधन मिल रहा है और कई मजदूरों को तो अपना पेट पालने के लिए रोजी-रोटी तक की किल्लत झेलनी पड़ रही है. ऐसे में मजदूरों ने कई राज्यों में अपना अधिकार मांगने के लिए प्रदर्शन करना ही सही समझा. लेकिन इसके बावजूद मजदूरों के प्रदर्शन पर सरकार की तरफ से कोई सुनवाई नही हुई है. हालांकि देखना ये होगा कि आखिरकार सरकार इनकी मांगों को कब पूरा करती है.
(सहाय्यक प्राध्यापक आर्थिक पाटणा विद्यापीठ, तुम्ही Twitter आणि YouTube वर कनेक्ट करू शकता.)
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