‘मोदी के गुजरात मॉडल में बहुजन’
गुजरात के गांवों में नाई बहुजनों के बाल नहीं काटते। ऐसा वे सवर्णों की धमकियों, मारपीट और दुकान-मकान जला दिए जाने के डर से करते हैं। अब अगर बहुजनों को वहां बाल कटवाना हो तो उन्हें अपने एरिये से बहुत दूर जाना होता है ताकि उन्हें कोई पहचान ना सके। पहचान छुपाने के इसी क्रम में कई बार वो ख़ुद को सवर्ण भी बता देते हैं।
उस दिन भी यही हुआ था। पुरुषोत्तम राठौर ढोल बजाने का काम करते हैं और आस-पास के गांवों में ढोल बजाकर ही उनकी रोटी चलती है। इसलिए उसे आसपास के सभी लोग जानते हैं। यहां उसके या उसके परिवार के बच्चों के बाल काटा जाना सम्भव नहीं है। ऐसे ही अपने बाल कटवाने उसका बेटा महेश घर से 15-20 किलोमीटर दूर ‘बेचारजी’ गया हुआ था।
गुजरात के अहमदाबाद जिले के विठालपुर गांव के अनुसूचित जाति के 13 वर्षीय लड़के महेश राठौर को ऊँची कही जाने वाली जाति (दरबार) के तीन-चार लड़कों ने सुनसान एरिया में घेरकर बेतहाशा मारपीट की, अपमानित किया, घटना का वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर डाल दिया।
वो भी सिर्फ़ इसलिए क्योंकि महेश ने गले में सोने की चेन (जो सोने जैसी दिखती है), जींस, टीशर्ट, स्टाइलिश हेयरकट और पैरों सुनहरी मोजड़ी(जूती) पहन रखी थी। और दरबार समुदाय के लड़कों को लगता है कि ये सब पहनना केवल दरबार लोगों की बपौती है।
उन लड़कों में घर से ही जातिवाद का ज़हर भर दिया गया है और रही-सही कसर बीजेपी सरकार ने पूरी कर दी। लड़के भी खुले रूप में बोल रहें हैं सरकार हमारी है कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
पुरूषोत्तम और उसका परिवार बेहद डरा हुआ है, वो कहता है कि साहब हमारी संख्या बहुत कम है इस गाँव में, अगर कंप्लेट की तो मेरे पूरे परिवार को मार देंगे। वहाँ के अफसर भी सवर्ण हैं जो उनका साथ नहीं देने वाले। एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट को कमज़ोर करके सरकार ने एससी-एसटी वर्ग के ख़िलाफ़ सवर्णों को खुली छूट दे दी है। ऐसी घटनाएँ सबसे ज्यादा बीजेपी शासित राज्यों में ही हो रही है। बहुजन डिसाइड करें कि वे हिंदू बनकर अपने आपको ख़त्म करेंगे या बौद्ध बनकर न्याय के लिए खड़े होंगे।
-Deepali Tayday
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