राष्ट्रध्वज ‘तिरंगा’ नहीं ‘चौरंगा’ है, पढ़कर समझिए?
नई दिल्ली। असलियत में भारत का राष्ट्रीय ध्वज 4 रंगों का होता है, न कि 3 का। यह तीन (केसरिया, सफेद और गहरे हरे) रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र, जिसमें 24 तीलियाँ या आरे होते हैं, द्वारा सुशोभित है। नीले रंग के चक्र को सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है। इस राष्ट्रीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया था।
उपर्युक्त विवरण से निसंदेह स्पष्ट है कि हमारे राष्ट्रीय ध्वज में चार रंग विद्यमान हैं केसरिया, सफेद, नीला और हरा। लेकिन फिर भी 71 साल से इसे जानबूझकर तिरंगा ही कहा और कहलवाया जाता रहा है और हम सभी भी तिरंगा ही कहते और मानते आ रहे हैं, जो कि सरासर गलत है। ऐसा क्यों? क्या ये कोई बहुत बड़ी साजिश तो नहीं है? और ये किसकी साजिश है और क्यों?
राष्ट्रीय ध्वज का नीला चक्र तथागत बुद्ध का धम्म चक्र है। सम्बोधि-प्राप्ति के पश्चात् गौतम बुद्ध ने ‘बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय’ हेतु धर्म-चक्र प्रवर्तन (धम्म-चक्र-पवत्तन) अर्थात् अपने ज्ञान-देशना के चक्र को चलायमान रखने की प्रतिज्ञा ली। धम्म-चक्र अर्थ यह भी है कि धम्म का शासन यानी सत्य, समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और कानून तथा न्याय का शासन। जिसे सम्राट अशोक ने अपने शासन काल में पूर्णतः स्थापित किया। धम्म-चक्र की 24 तीलियाँ 24 गुणों को दर्शाती हैं।
1.प्रेम (Love) 2.पराक्रम (Courage), 3.धैर्य (Patience), 4.शांति (Peacefulness)
5.दयालुता (Kindness), 6.अच्छाई (Goodness), 7.निष्ठा (Faithfulness), 8.सौम्यता (Gentleness),
9.आत्मसंयम (Self-control), 10.निस्स्वार्थता (Selflessness), 11.आत्म-बलिदान (Self sacrifice), 12.सच्चाई (Truthfulness),
13.नीति-परायणता (Righteousness), 14.न्याय (Justice), 15.करुणा (Mercy), 16.शालीनता (Graciousness)
17.नम्रता (Humility), 18.समानुभूति (Empathy), 19.संवेदना (Sympathy), 20.परम-ज्ञान (Supreme knowledge)
21.परम-बुद्धिमता (Supreme wisdom), 22.परम-नैतिकता (Supreme morality)
23.सभी जीवों से प्रेम (Love for all beings)
24.प्रकृति की दयालुता में विश्वास (Hope, trust, or faith in the goodness of nature).
राष्टीय ध्वज के सफेद रंग के बीच में नीले अशोक चक्र का अर्थ है न्याय का शासन। जो लोग इस ध्वज के नीचे काम करते हैं उनके लिए सत्य और नैतिकता ही नियंत्रक सिद्धांत होने चाहिए। लेकिन ऐसा पिछले 71 सालों में बहुजनों (OBC SC ST Pasmanda section of religious minorities) के हित में बहुत ही कम इन सिद्धांतों का पालन हुआ है। और इसीलिए ही इस नीले रंग के धम्म चक्र को नजर अंदाज किया जाता रहा है। और न ही कभी इस रंग और चक्र का महत्व बताया जाता है।
अतः अब ये हम सभी बहुजनों की जिम्मेदारी हो जाती है कि हम हर उचित मौके पर अपने राष्ट्रीय ध्वज के इस नीले धम्म चक्र के महत्व को अपने सभी भाई-बहनों को और देशवासियों को समझाएं और न्याय और नैतिकता के शासन को लागू करवाने के लिए कार्य करें। चौरंगे राष्ट्रीय ध्वज को सैल्यूट करते हुए आप सभी को 72वें स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनाओं के साथ।
-A.K Maurya
बाबा साहेब को पढ़कर मिली प्रेरणा, और बन गईं पूजा आह्लयाण मिसेज हरियाणा
हांसी, हिसार: कोई पहाड़ कोई पर्वत अब आड़े आ सकता नहीं, घरेलू हिंसा हो या शोषण, अब रास्ता र…