JNU में पीएचडी स्कॉलर दिलीप यादव ने लिखा VC को खुला पत्र, बताई शोषण की कहानी
नई दिल्ली। जेएनयू कुलपति के नाम खुला पत्र
सेवा में
कुलपति महोदय
जेएनयू, नयी दिल्ली
विषय: विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा संस्थागत उत्पीड़न
महोदय
मैं दिलीप कुमार यादव सेंटर फॉर इनर-एशियन स्टडीज स्कूल ओफ़ इंटरनेशनल स्टडीज में पीएचडी का विद्यार्थी हूं। मैं अगले 20-25 दिन में अपनी पीएचडी जमा करने वाला हूं। फिर भी आपका प्रशासन मेरा हॉस्टल ट्रान्स्फ़र कर रहा है। ये समय एक शोधार्थी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। और शायद आपका प्रशासन इस बात से अज्ञात है कि हॉस्टल ट्रान्स्फर जैसा उत्पीड़न कितना कष्टदायी हो सकता है। जब मैं खुद 20 दिन में पीएचडी जमा करके इस कैम्पस से जा रहा हूं तो हॉस्टल ट्रान्स्फर करने की ज़रूरत क्या है।
पिछले एक हफ्ते से आपका प्रशासन मुझ पर अमानवीय ढंग से अत्याचार कर रहा है। आपके दो ब्राह्मण हॉस्टल वॉर्डन मुझे धमका रहे है…मुझ पर जातिगत बयान दे रहे है… मुझसे पूंछ रहे है कि तुम जैसा “गुंडा” इस कैम्पस में कैसे आ गया। मेरी गलती सिर्फ इतनी है कि मैंने UGC के अन्यायपूर्ण गजेट के खिलाफ आंदोलन किया था। मेरी गलती सिर्फ ये है कि मैंने आपके ब्रह्मणवादी प्रशासन के सामने बहुजनों-पिछड़ों की आवाज़ उठाई थी।
मेरी गलती सिर्फ इतनी है कि मैंने आपको मनमानी नहीं करने दी। इनही गलतियों चलते पिछले एक साल मे आपने मुझपर 50000 रुपय का दंड और तीन बार हॉस्टल ट्रान्स्फर किया है। पर अब मैं और नहीं सहूंगा। ये सिर्फ मेरी आठ साल की मेहनत और भविष्य का सवाल नहीं है, यहां लाखों बहुजन-पिछड़ों भविष्य दांव पर लगा है। मैंने आपसे गुहार लगाते हुए 7 जुलाई को एक पत्र भी लिखा है। अब फ़ैसला आपके हाथों में है।
मेरा संघर्ष सही था इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो यही है की सरकार भी यूजीसी के उस गज़ेट को वापस ले चुकी है। पर आपका प्रशासन मुझे परेशान करने पर अड़ा हुआ है। आपके इसी बहुजन-पिछड़ा विरोधी रव्वैया के चलते हमारे एक साथी रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी। अब समय की मांग है कि आप आत्मनिरीक्षण करें और बहुजन-पिछड़ों पर उत्पीड़न बंद करें। वरना, आप इस दिलीप कुमार को तो शायद जैसे-तैसे दबा लेंगे, पर आने वाले समय में आपका सामना हज़ारों दिलीप यादव से होगा।
-दिलीप यादव
जेएनयू शोधछात्र
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