Home Social Culture आरएसएस की शाखा में खड़े प्रोफेसर विवेक कुमार के फोटो का क्या है असली सच पढ़िये…

आरएसएस की शाखा में खड़े प्रोफेसर विवेक कुमार के फोटो का क्या है असली सच पढ़िये…

By~ अशोक दास, सोशल एक्टीविस्ट

बीते 48 घंटों से सोशल मीडिया पर एक बार फिर जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी के प्रोफेसर विवेक कुमार की एक फोटो घूम रही है। इस फोटो में विवेक कुमार आरएसएस के मंच से अपनी बात रख रहे हैं। इसके आधार पर दुष्प्रचार किया जा रहा है। कि प्रोफेसर विवेक कुमार आरएसएस के एजेंट हैं। यह तस्वीर पहली बार सामने नहीं आई है। बीते साल पहले भी कुछ लोगों ने उस तस्वीर को फेसबुक पर शेयर कर प्रोफेसर विवेक कुमार के बारे में दुष्प्रचार करने की कोशिश की थी।अमूमन मैं किसी मसले पर जल्दी कोई कमेंट करने से बचता हूं। लेकिन चूंकि मेरे पास भी इस बारे में कई लोगों ने फोन किया तो मुझे लिखना जरूरी लग रहा है। लिखना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि लोगों की सोच पर मैं खुद हैरान था। मैं हैरान था कि क्या महज इस तरह की एक तस्वीर किसी व्यक्ति के पूरे व्यक्तित्व पर सवाल खड़ा कर सकती है? और क्या महज उस तस्वीर के सामने आने पर उस व्यक्ति द्वारा किए गए सारे कामों पर पानी फिर जाना चाहिए। वो भी बिना यह जाने कि वह तस्वीर कब की है, कहां की है और उस कार्यक्रम में व्यक्ति क्यों गया था और गया तो उसने कहा क्या।

दरअसल वो तस्वीर तकरीबन ढाई साल पुरानी है। प्रोफेसर विवेक कुमार न सिर्फ आम्बेडकरी आंदोलन से जुड़े हैं, बल्कि वो एक विचारक, समाजशास्त्री और राजनीतिक विश्लेषक भी हैं। टीवी चैनलों के अलावा सिर्फ देश ही नहीं विदेशों तक से तमाम विश्वविद्यालयों और मंचों पर उन्हें उनके विषय से जुड़े मुद्दों पर विचार रखने के लिए बुलाया जाता है। यह उनकी काबिलियत ही है कि उनको कोलंबिया विश्वविद्यालय ने अपने समाजशास्त्र विभाग में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में अपने छात्रों को पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया था। भारत से कोलंबिया विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में बतौर शिक्षक जाने वाले वह पहले बहुजन ही नहीं बल्कि पहले भारतीय थे। इनकी इस उपलब्धि पर पूरे समाज को गर्व होना चाहिए। ऐसे ही जेएनयू के भीतर ही आरएसएस का एक कार्यक्रम था, जिसमें उनके विषय से जुड़े मुद्दे पर उन्हें अपनी बात रखने के लिए बुलाया गया था। उन्होंने अपनी बात रखी। उन्होंने क्या कहा, इसके बारे में कोई बात नहीं कर रहा है, बल्कि वो आरएसएस के मंच पर गए थे ज्यादातर लोगों की दिक्कत यही है। प्रोफेसर विवेक कुमार कोई राजनीतिक कार्यकर्ता नहीं हैं, वो एक विचारक, एक विद्वान हैं। जो अपने मत की बात बेहिचक किसी मंच पर कह सकते हैं। जो लोग उन्हें आरएसएस का एजेंट बता कर उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें उस कार्यक्रम का वीडियो जारी करना चाहिए कि उन्होंने आरएसएस का क्या प्रचार किया। या फिर प्रोफेसर विवेक कुमार का लिखा या बोली गई एक लाइन भी सबूत के साथ बताना चाहिए कि उन्होंने कहां आरएसएस के हित की कौन सी बात बोली या लिखी।

अब इस पर आते हैं कि यह तस्वीर एक बार फिर क्यों वायरल की गई है। दरअसल कुछ दिनों पहले जयप्रकाश प्रकरण सामने आने के बाद हुई उथल पुथल में बीएसपी द्वारा विवेक कुमार को दिल्ली का प्रभार (बीएसपी में कई प्रभारी होते हैं) दिया गया था। जाहिर है कि विवेक कुमार की राजनीतिक समझ दिल्ली प्रदेश कार्यकारिणी में काम कर रहे कईयों से बेहतर है। क्योंकि अगर वो लोग इतने काबिल होते तो दिल्ली में बीएसपी 12 प्रतिशत से इस राजनीतिक रसातल में नहीं पहुंचती। प्रोफेसर विवेक कुमार को मैं पिछले आठ सालों से देख रहा हूं। अशोक दास में अम्बेडकरवाद का बीज बोने वाले और पोषित करने वाले प्रोफेसर विवेक कुमार ही हैं। सिर्फ मैं ही नहीं, देश भर में उनके सानिध्य से निकले ऐसे सैकड़ों युवा होंगे जो उनके संपर्क में आने की वजह से बहुजन मूवमेंट और अम्बेडकरी आंदोलन से जुड़े हैं। इसमें कई अधिकारी, डॉक्टर, देश के बड़े विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले और राजनीति में सक्रिय युवा शामिल हैं। लेकिन क्या महज उन तस्वीरों के आधार पर हम इन तमाम नायकों का वंचित समाज के लिए किए गए संघर्ष और आंदोलन को नजरअंदाज कर देंगे? जाहिर है कि नहीं। ऐसे ही हमें विवेक कुमार द्वारा किए गए कामों और अम्बेडकरी आंदोलन में उनके योगदान को भी सामने रखना चाहिए। न कि महज एक तस्वीर के आधार पर उनका आंकलन करना चाहिए और उनके दो दशकों तक बिना थके किए गए कामों को खारिज कर देना चाहिए। अगर आप ऐसा करेंगे तो उन स्वार्थी लोगों की कोशिश सफल हो जाएगी जो इन तस्वीरों के जरिए उन्हें बदनाम करना चाहते हैं। आप खुद सोचिए, अम्बेडकरी आंदोलन में विवेक कुमार सर जितनी प्रतिभा वाले कितने विद्वान हैं? जाहिर है हमें इन विद्वानों के साथ खड़ा होना चाहिए। इन्होंने समाज को बहुत कुछ दिया है। हमारा विश्वास ही उनकी ताकत है। हमें इन प्रतिभाओं को बचा कर रखना होगा, उनके साथ खड़ा होना होगा।

~अशोक दास, सोशल एक्टीविस्ट

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