वह एक विदूषक का प्रतिअक्स भर है, हाँ कन्हैया कुमार…
By- Sanjeev Chandan ~
कन्हैया कुमार के शोध शिक्षक हैं एसएन मालाकार. मालाकार जाति के सवाल पर बहुत स्पष्ट समझ और धारणा वाले शिक्षक हैं. लेकिन संकट यह है कि कन्हैया कुमार की जाति का असर इतना गहरा है कि उसे न जाति की समझ बन पायी न जेंडर की.
सवर्ण पब्लिक स्फीअर के कंधे पर बैठा कन्हैया कुमार महिला पत्रकार द्वारा उसकी जाति के लाभ के बारे में पूछे जाने पर पलटकर पत्रकार की जाति का लाभ पूछ लेता है. पत्रकार भी इस मामले में ऊंची जाति की महिला है जो सदियों से प्रिविलेज्ड जाति की कथित सदस्य है और कन्हैया की जाति ने उन्नीसवीं सदी के पहले दशक में जनेउ धारण किया है, एक आन्दोलन के बाद. प्रति प्रश्न के बाद कन्हैया कुमार पत्रकार को यह भी कहता है कि रात को जब आप निकलेंगी तो आप पर हमले के लिए मनचले आपकी जाति नहीं देखेंगे.
जेएनयू से पढ़े-लिखे इस वीर बालक का सेक्सिस्ट और सवर्ण मेल वाला जवाब इसकी सारी कलई खोल देता है. जिस महिला पत्रकार को वह जवाब दे रहा है वह एक बड़े संस्थान की मुखिया है लेकिन उसके जवाब ने उसे उसके सेक्स तक सीमित कर दिया-जबकि ज्ञान और वाम-विरासत के मामले में वह कन्हैया कुमार की अग्रज ठहरी.
इस जवाब के साथ जाति और जेंडर के अंतरसंबंध की उसकी खोखली समझ भी स्पष्ट होती है या फिर उसकी चालाकी. इस जवाब से सिद्ध है कि वह मोदी का सिर्फ वाम-संस्करण भर है.
कम्युनिष्ट मित्रों, आप उसे चुनाव लडवाइए और ताली पीटिये. वह इस समय का नायक नहीं हो सकता. वह एक विदूषक का प्रतिअक्स भर है. रही बात उसकी जातिवादी और सेक्सिस्ट सोच की-तो क्या फर्क पड़ता है आप पहले से ही एक सेक्सिस्ट, लेखिकाओं को ‘कामदग्ध कुतिया’ समझने वाले को कंधे पर ढो रहे हैं. उसके लिए भी कोई उच्च उपलब्धि प्राप्त स्त्री ‘योनि’ भर है और संयोग से दोनो की जाति एक ही है-भूमिहार!
Sanjeev Chandan
Senior Journalist
Editor Streekal
बाबा साहेब को पढ़कर मिली प्रेरणा, और बन गईं पूजा आह्लयाण मिसेज हरियाणा
हांसी, हिसार: कोई पहाड़ कोई पर्वत अब आड़े आ सकता नहीं, घरेलू हिंसा हो या शोषण, अब रास्ता र…