Home Language Hindi करगिल युद्ध: बहादुरी और बलिदान की बेमिसाल गाथा,जानिए!
Hindi - International - Language - Social - July 26, 2019

करगिल युद्ध: बहादुरी और बलिदान की बेमिसाल गाथा,जानिए!

आज भारत के लिए गर्व का दिन है.आज से ठीक 20 साल पहले सरहद पर भारत ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ाते हुए घुसपैठियों को करगिल की पहाड़ियों से वापस खदेड़ दिया था। हिंदुस्तान के जवानों ने पाकिस्तान पर फतह हासिल की थी.ऐसे में द्रास, करगिल की फिजाओं में एक बार फिर देशभक्ति का संगीत गूंज रहा है। क्योंकि करगिल की हवा और फिजा में देशभक्ति और शौर्य के सिवा कुछ नहीं मिलेगा।शुक्रवार को एक बार फिर शहीदों के लिए मेला लग रहा है। शहीदों के सम्मान में दूर-दूर से लोग द्रास के शहीद स्मारक में पहुंचे हैं। जहां करगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है।

दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में करगिल युद्ध हुआ था.इसकी शुरुआत 8 मई 1999 से जब पाकिस्तानी फौजियों और कश्मीरी आतंकियों को कारगिल की चोटी पर देखा गया था। पाकिस्तान इस ऑपरेशन की 1998 से तैयारी कर रहा था। एक बड़े खुलासे के तहत पाकिस्तान का दावा झूठा साबित हुआ कि करगिल लड़ाई में सिर्फ मुजाहिद्दीन शामिल थे। बल्कि सच ये है कि यह लड़ाई पाकिस्तान के नियमित सैनिकों ने भी लड़ी। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व अधिकारी शाहिद अजीज ने यह राज उजागर किया था। आज द्रास के युद्ध स्मारक में हर किसी की जुबान पर बस भारत मां के सपूतों की वीरता के किस्से हैं। करगिल सेक्टर में 1999 में भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच लड़ाई शुरू होने से कुछ सप्ताह पहले जनरल परवेज मुशर्रफ ने हेलिकॉप्टर से नियंत्रण रेखा पार की थी। और भारतीय भूभाग में करीब 11 किमी अंदर एक स्थान पर रात भी बिताई थी। इस काम के लिए पाक सेना ने अपने 5000 जवानों को कारगिल पर चढ़ाई करने के लिए भेजा था। तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस बात को स्वीकारा था कि करगिल का युद्ध पाकिस्तानी सेना के लिए एक आपदा साबित हुआ था। पाकिस्तान ने इस युद्ध में 2700 से ज्यादा सैनिक खो दिए थे। पाकिस्तान को 1965 और 1971 की लड़ाई से भी ज्यादा नुकसान हुआ था। आज द्रास के युद्ध स्मारक में हर किसी की जुबान पर बस भारत मां के सपूतों की वीरता के किस्से हैं. हालात बदल गए हैं। वहीं भारत ने पाकिस्तान के इस धोखे से कई सबक लिए हैं। बहरहाल करगिल युद्ध में शहीद जवानों को आज पूरा देश नमन कर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

Remembering Maulana Azad and his death anniversary

Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…