“कैराना चुनाव नतीज़े – सीख और समझ”
–DEEPALI TAYDAY
विमर्श। कैराना के नतीज़े देखकर ईवीएम बैन की माँग कमज़ोर मत होने देना। क्योंकि सरकार चुनाव आयोग की मदद से ईवीएम की पवित्रता दिखाने के लिए बीच-बीच में ऐसी छुट-पुट जीतें करवाती रहेंगी। ताकि लोग ईवीएम पर सवाल नहीं ऊठाएं और ऊठाएं तो भी कैराना जैसी जीतें दिखाकर आपका मुँह बन्द कराया जा सके।
गौरतलब है कि कैराना में पहली बार ईवीएम को लू लग गई थी, आगे बुखार, टीबी, कैंसर कुछ और भी हो सकता है। वो तो कैराना के लोगों की सतर्कता के कारण लू ठीक हो गई वरना यहां भी बीजेपी ही जीतती।
दूसरी इम्पोर्टेन्ट बात दलित-बहुजन एकता ही 2019 के आम चुनाव में कमाल कर सकेगी वरना फिर कमल खिलेगा औऱ हम-आप कीचड़ बनेंगे। ये चुनाव के ठीक पहले हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण करने के लिए दंगे या हिंदू धर्म को खतरा या मुसलमानों को आतंकवादी बताएंगे, या देश में बमब्लॉस्ट करा सकते हैं या अचानक से कश्मीर में हिंसा शुरू हो जाएगी या जवान बॉर्डर पर शहीद होने लगेंगे या पाकिस्तान से देश पर संकट आ गया ये बता देंगे या लव जेहाद करा देंगे. ये किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसलिए दलित-बहुजनों को विशेष रूप से ये याद रखना है कि “मुस्लिम तुम्हारे दुश्मन नहीं है और तुम हिंदू नहीं हो।” हर हाल में एक-दूसरे के साथ पूरी मजबूती से खड़े होना है।
अगला 2019 का आम चुनाव तभी आम लोगों की इच्छा से बनेगा जब आप जागरूक, सतर्क और समझदार रहेंगे। अगर कांग्रेस और कॉमरेडों ने जनेऊ का पवित्र रिश्ता नहीं निभाया और बीजेपी का साथ नहीं दिया तो सरकार आप लोगों की ही बनेगी।
नोट: यह लेख हमें दिपाली तायड़े ने भेजा है। जो सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर अपनी राय बेबाकी से रखती हैं।
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