संसद मार्ग पर अन्नदाता की दहाड़, मोदी सरकार के खिलाफ 19 राज्यों के किसानों का आंदोलन
By- Aqil Raza
फसलों के बेहतर दाम और कर्जमुक्ति की मांग को लेकर देशभर के किसानों का केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन जारी है. देश के 21 राज्यों के करीब 180 से ज्यादा संगठनों ने एकजुट होकर एनडीए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.. किसानों की मांग है कि कर्ज के बोझ में दबकर किसान आत्महत्या कर रहा है. किसानों का कर्ज माफ कर किसानों को आत्महत्या करने से बचाया जाए.
बिहार से आए किसानों का कहना है कि उनकी फसल बाढ़ के आने से तबह हो जाती है, बाढ़ को रोकने के लिए बांध के नाम पर सरकार सिर्फ खाना पूर्ती करती है. जिससे हर साल किसानों की फसल बाढ़ में बह जाती है. याहां तक की जान का भी खतरा बना रहता है।
कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना आदि से आए किसानों का कहना है कि फसल उठाने के बाद रेट कम होने की वजब से किसानों की फसल उगाने के लिए लगाई गई लागत भी वापस किसान को नहीं मिल रही है. जिससे किसान कर्ज में डूबता जा रहा है, और देश में किसान की आत्महत्याए बढ़ रही हैं।
किसान मुक्ति संसद का नेतृत्व कर रहीं मेधा पाटकर ने कहा कि यह एतिहासिक क्षण है कि देशभर की किसान महिलाएं संसद मार्ग पर आई हैं और अपना मांगपत्र पेश कर रही हैं. किसान महिलाओं की मांग है कि किसानों, कृषि श्रमिकों, आदिवासियों और भूमिहीन कृषि कामगारों के जीवनस्तर को सुधारा जाए.
उन्होंने कहा कि सरकार ने नर्मदा घाटी के किसानों सहित देशभर से करीब 10 करोड़ किसानों को बिना पुनर्वास की सुविधाएं दिए विस्थापित कर दिया है. किसानों के विकास के संबंध में कोई वैकल्पिक नीति लागू नहीं की गई. उन्होंने कहा कि किसान विकास चाहते हैं विनाश नहीं.
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