सिंचाई घोटाले में अजित पवार को महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो ने दी क्लीन चिट
महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार के निरोधी ब्यूरो एसीबी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी नेता एवं राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार को विदर्भ सिंचाई घोटाले मामले में क्लीन चिट दे दी है. एसीबी ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में दायर किए गए अपने हलफनामे में विदर्भ क्षेत्र में सिंचाई परियोजनाओं में कथित अनियमितताओं के मामलों में पवार की भूमिका से इनकार किया है. वही शिवसेना राकांपा-कांग्रेस की महाविकास अघाडी एमवीए सरकार के 28 नवंबर को शपथ ग्रहण से एक दिन पहले 27 नवंबर को हलफनामा पेश किया गया था और अदालत ने इन मामलों में एसीबी को पूर्व जल संसाधन विकास मंत्री अजित पवार की भूमिका पर अपना पक्ष रखने को कहा था.
पवार ने विदर्भ सिंचाई विकास निगम वीआईडीसी के अध्यक्ष पद पर भी सेवाएं दे चुके हैं. मालूम हो कि वीआईडीसी ने उन सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दी थी जिनमें अनियमितताएं किए जाने का आरोप लगाया गया है और 27 नवंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट में जमा किए गए हलफनामे के मुताबिक विदर्भ सिंचाई विकास निगम वीआईडीसी के चेयरमैन अजित पवार को कार्यकारी एजेंसियों के कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. क्योंकि अजित पवार के पास कोई वैधानिक दायित्व नहीं है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के समक्ष बुधवार को दाखिल किए गए हलफनामे में एसीबी की अधीक्षक रश्मि नांदेड़कर ने बताया कि 302 टेंडर में से 100 टेंडरों की लागत को मंजूरी देने की प्रक्रिया में वीआईडीसी चेयरमैन पवार की कोई जवाब देही नहीं पाई गई और नांदेड़कर ने बताया बाकी टेंडरों की जांच चल रही है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि विदर्भ सिंचाई घोटाले में एसीबी द्वारा अजित पवार को क्लीन चिट दिए जाने को उन्होंने मंजूरी नहीं दी थी.
फडणवीस ने कहा यह हलफनामा मुझे या सरकार के किसी बाशिंदे को नहीं सौंपा गया. यह एसीबी स्तर पर हुआ होगा. मैंने एक दिन पहले ही इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा ये भी कहा की एसीबी का यह हलफनामा चौंकाने वाला है. एसीबी द्वारा दायर किए गए एक हलफनामे को किसी दूसरे हलफनामे से कैसे खारिज किया जा सकता है. मैं इसके खिलाफ हूं और मुझे यकीन है कि अदालत इसे स्वीकार नहीं करेगी. हालांकि हाईकोर्ट में बुधवार को हलफनामा दायर किया गया था लेकिन इसे 27 नवंबर को तैयार किया गया था और इसी दिन इस पर हस्ताक्षर हुए थे. मालूम हो कि इसी दिन देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था. इससे पहले 25 नवंबर को जब महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच एसीबी ने सिंचाई घोटाले से जुड़े नौ केस बंद कर दिए थे. एसीबी ने कहा था कि जो नौ केस बंद किए गए हैं. उनका वास्ता अजित पवार से नहीं है. देवेंद्र फडणवीस और भाजपा सिंचाई घोटाले को लेकर हमेशा अजित पवार पर निशाना साधते रहे हैं. 2014 में मुख्यमंत्री बनने के बाद जो पहली कार्रवाई उन्होंने की थी वो सिंचाई घोटाले में अजित पवार की कथित भूमिका की जांच के आदेश देना थी.
(अब आप नेशनल इंडिया न्यूज़ के साथ फेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब पर जुड़ सकते हैं.)
Remembering Maulana Azad and his death anniversary
Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…