प्रधानमंत्री की मन की बात..तिलक का गुणगान..और कुछ सवाल
विमर्श। मन की बात में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बाल गंगाधर तिलक का गुणगान किया। प्रधानमंत्री जी से कुछ प्रश्न हैं…
1- प्रधानमंत्री जी क्या आपको यह पता है कि तिलक सिर्फ सवर्ण मर्दों के स्वराज के हिमायती थे। वे किसी भी सूरत में शूद्रों (ओबीसी), अतिशूद्रों (दलितों) और महिलाओं को किसी भी राजनीतिक संस्था में प्रतिनिधित्व देने के पक्ष में नहीं थे, वायसराय की कौंसिंल में शूद्रों-अतिशूद्रों के प्रतिनिधित्व की मांग पर उन्होंने लगभग गाली देते हुए कहा था कि यदि ये लोग वायसराय की कौंसिल में जायेगें तो, हरवाही….आदि काम कौन करेगा।
2- प्रधानमंत्री जी आपको क्या यह पता है कि तिलक ब्रिटिश आधिपत्य से स्वतंत्रता नहीं चाहते थे, बल्कि ब्रिटिश शासन के अधीन ही द्विज जातियों का निर्णायक पदों पर प्रतिनिधित्व चाहते थे।
3- प्रधानमंत्री जी क्या आपको पता है कि तिलक का मानना था कि जाति पर भारतीय समाज की बुनियाद टिकी है, जाति की समाप्ति का अर्थ है, भारतीय समाज की बुनियाद को तोड़ देना, साथ ही राष्ट्र और राष्ट्रीयता को तो़ड़ना है। वर्ण-जाति का विरोध करने के चलते तिलक ने फुले को राष्ट्रद्रोही कहा था? ( मराठा, 24 अगस्त 1884, पृ.1, संपादक-तिलक)
4- प्रधानमंत्री जी क्या आपको पता है कि प्राथमिक शिक्षा को सबके लिए अनिवार्य बनाने के फुले के प्रस्ताव का तिलक ने कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि कुनबी (शूद्र) समाज के बच्चों को इतिहास, भूगोल और गणित पढ़ने की क्या जरूरत है, उन्हें अपने परंपरागत जातीय पेशे को अपनाना चाहिए। आधुनिक शिक्षा उच्च जातियों के लिए ही उचित है। (मराठा, पृ. 2-3)
5- प्रधानमंत्री जी क्या आपको पता है कि तिलक का कहना था कि सार्वजनिक धन से नगरपालिका को सबको शिक्षा देने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि यह धन करदाताओं का है, और शूद्र-अतिशूद्र कर नहीं देते हैं। (मराठा, 1881, पृ. 1)
6- प्रधानमंत्री जी क्या आपको पता है कि..तिलक ने महार और मातंग जैसी अछूत जातियों के स्कूलों में प्रवेश का सख्त विरोध किया और कहा कि केवल उन जातियों का स्कूलों में प्रवेश होना चाहिए, जिन्हें प्रकृति ने इस लायक बनाया है यानी उच्च जातियां।(Bhattacharya, Educating the Nation, Document no. 49, p. 125.)
7- प्रधानमंत्री जी क्या आपको पता है कि तिलक ने लड़कियों को शिक्षित करने का तीखा प्रतिरोध और प्रतिवाद किया और लड़कियों के लिए स्कूल की स्थापना के विरोध में संघर्ष चलाया। (“Educating Women and Non-Brahmins as ‘Loss of Nationality’: Bal Gangadhar Tilak and the Nationalist Agenda in Maharashtra”)
8- प्रधानमंत्री जी क्या आपको पता है कि जब फुले के प्रस्ताव और निरंतर संघ्रर्ष के बाद ब्रिटिश सरकार किसानों को थोड़ी राहत देने के लिए सूदखोरों के ब्याज और जमींदारों के लगान में थोड़ी कटौती कर दी, तो तिलक ने इसका तीखा विरोध किया। (हम सभी जानते हैं कि फुले ने 1848 में अछूत बच्चों के लिए स्कूल खोल दिया था और 3 जुलाई 1857 को लड़कियों के लिए अलग से स्कूल खोला)
9- प्रधानमंत्री जी क्या आपको पता है कि तिलक सती प्रथा पर रोक लगाने के विरोधी थे?
10- प्रधानमंत्री जी क्या आपको पता है कि तिलक विधवा विवाह के घोर विरोधी थे?
11- प्रधानमंत्री जी क्या आपको पता है कि तिलक बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाने के कट्टर विरोधी थे?
और..प्रधानमंत्री जी आप ने कहा कि तिलक ने भारत की जनता का आत्मविश्वास बढ़ाया। क्या आपके लिए भी भारत की जनता का मतलब द्विज जातियां है? अगर नहीं तो तथ्य तो यह बताते हैं कि तिलक ने ओबीसी, दलितों और महिलाओं की दासता का समर्थन करके उनका आत्मविश्वास तोड़ने की ही कोशिश किया था।
आखिर क्या विवशता थी कि आपने तिलक के बारे में ओबीसी, दलितों और महिलाओं के गुमराह को करने की कोशिश किया है? आप या तो तथ्यों से परिचित नहीं है, या झूठ बोल रहे थे या सवर्ण वर्चस्व के हिमायतियों द्वारा फैलाये झूठ का प्रचार कर रहे थे, ताकि आपके संघी आका खुश हो जायें और साथ ही देश की सत्ता और कार्पोरेटे पूंजी के वास्तविक मालिक द्विज जातियों का आपका भरपूर समर्थन करती रहें।
-सिद्धार्थ रामू, पत्रकार
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