अभिनन्दन का बहुत बहुत अभिनन्दन
Published by- Aqil Raza
By- Dr. Manisha Bangar
लेकिन, एक सेल्यूट तो हेनरी ड्यूनेन्ट को भी बनता है, याद करो जिनीवा करार, स्विस नागरिक एवम् उद्योगपति हेनरी ड्यूनेन्ट ही तो थे जिनीवा करार के शिल्पकार, मानवाधिकार आन्दोलनके नेता।
हेनरी ड्यूनेन्ट ने1859 में सोल्फेरिनो की लड़ाई में जो देखा उनसे उनकी रूह काप गयी, युद्धभुमि पर हजारो जख्मी सैनिक तड़प रहे थे, ना उनको पानी मिल रहा था ना ही दवाई, बस तड़प रहे थे ऐसे जैसे की मौत का इंतजार कर रहे हो…
इन सैनिको के लिए व्यक्तिगत तौर पर जो करना था वो उन्होंने किया साथ साथ इस दुर्दशापर उन्होंने 1862 में “मेमोरी ऑफ़ सोल्फेरिनो” नामकी किताब लिखी जो आगे जाकर रेडक्रोस सोसायटी की जननी बनी
इसी किताब की वजह से 22 अगस्त 1864 को जिनीवा करारने जन्म लिया जिसका उद्देश्य था युद्ध में पकड़े गए सैनिक के साथ मानवीय बर्ताव करना।
1901 में सर हेनरी ड्यूनेन्ट को नोबल पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया, वर्तमान में अभिनन्दन की सही सलामत वापसी पर भारतीय होने के नाते मैं सर हेनरी को सलाम वंदन नमन करती हूं।
~ Dr. Manisha Bangar
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पीपीआई(डी)
पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बामसेफ
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