अंतरिम बजट समीक्षा: केवल कार्पोरेट घरानो के लिए सौगात, लुभावनी घोषणाओं की है बाढ़!
By- डा. मनीषा बांगर
कल 1 फरवरी 2019 को कार्यकारी वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में अंतरिम बजट पेश किया। बजट के नाम पर घोषणाएं अधिक हैं। समाज के सभी तबकों को खुश करने की कोशिश की गई है। मसलन, पांच लाख रुपये तक की आय पर कर में पूरी छूट दी गई है। बताया जा रहा है कि इससे लघु और मध्यवर्ग के करीब तीन करोड़ करदाताओं को 23,000 करोड़ रुपये से अधिक की राहत मिलेगी।
फसल की उचित कीमत नहीं मिलने से नाराज किसानों को खुश करने के लिए सरकार ने अहम घोषणा की है। बजट में कहा गया है कि छोटे एवं सीमांत किसानों को सालाना 6,000 रुपये की न्यूनतम सहायता उपलब्ध कराने के लिए ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ (पीएम किसान) योजना शुरू की जाएगी। इसका लाभ उन किसानों को मिलेगा जिनके पास 2 एकड़ तक जमीन है। बटाईदार किसानों के लिए किसी प्रकार की सहायता की घोषणा नहीं की गई है। जबकि भारत में 40 फीसदी खेती बटाईदार किसान करते हैं।
किसानों के साथ ही सरकार ने मजदूरों के लिए भी डुगडुगी बजाई है। सरकार ने 15,000 रुपये तक की मासिक आय वाले असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन वृहद पेंशन योजना शुरू करने का प्रस्ताव दिया है, जिससे 10 करोड़ मजदूरों को लाभ मिलने की बात कही गई है।
सरकार ने बजट में दलितों और आदिवासियों के लिए स्पेशल कंपोनेंट प्लान को लेकर कोई खास बात नहीं कही है। माना जा रहा है कि ऐसा अंतरिम बजट के कारण किया गया है। हालांकि घुमंतू और अर्द्ध घुमंतुओं के लिए एक कल्याण विकास बोर्ड बनाने की बात कही गई है। यह बोर्ड उनके लिए योजना भी बनाएगा और क्रियान्वयन भी करेगा।
बहरहाल, घोषणाओं की सूची लंबी है। मसलन –
आवास और रीयल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा, वित्त मंत्री ने मध्य वर्ग और छोटे करदाताओं के लिए करों में राहत की घोषणा की।
अगले पांच वर्ष में एक लाख गांव बनेंगे डिजिटल।
सरकार पेट्रोलियम और गैस क्षेत्र में खोज के संबंध में अंतर मंत्रालय समिति द्वारा की गई अनेक सिफारिशों को लागू करेगी।
रक्षा बजट बढ़कर 3,05,296 करोड़ रुपये।
रेलवे के लिए 64,587 करोड़ रुपये आवंटित।
सरकारी उपक्रमों द्वारा महिलाओं के स्वामित्व वाले लघु एवं मध्यम उद्यमों से एक निर्धारित अनुपात में सामग्रियों की खरीद की जाएगी।
सरकार ने कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) पर राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करने की परिकल्पना की।
‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने के लिए सीमा शुल्क और प्रक्रियाओं को युक्तिसंगत बनाया जाएगा एवं निर्यात तंत्र में सुधार के लिए आरएफआईडी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा।
वर्ष 2019-20 में पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लिए अवसंरचना आवंटन 21 प्रतिशत बढ़ाकर 58,166 करोड़ रुपये।
राष्ट्रीय शिक्षा योजना के लिए आवंटन 32,334 करोड़ रुपये से बढ़कर 38,570 करोड़ रुपये किया गया।
‘वन रैंक, वन पेंशन’ के तहत मौजूदा सरकार ने 35,000 करोड़ रुपये आवंटित किए।
कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई) नियम के तहत पात्रता 15,000 से बढ़ाकर 21,000 रुपये प्रतिमाह वेतन की गई।
श्रमिकों की न्यूनतम मासिक पेंशन 1,000 रुपये तक की गई।
पशुपालन के लिए किसानों को कर्ज पर 2 प्रतिशत ब्याज सहायता देगी सरकार।
कुल मिला कर केवल घोषणाये और सिर्फ घोषणाये ऐसा कहने पर हम बाध्य क्यों हुए ?
क्योंकि मोदी सरकार के 2014 से लेकर सभी निर्णयों ने चाहे वह नोटबंदी का हो या किसानों से मुतालिक हो, या फिर माध्यम वर्ग और इस देश के बहुसंख्यक वर्ग को असर करने वाला आरक्षण का मुद्दा हो , इन सभी निर्णयों ने देश में बेरोज़गारी, गरीबी का दर बढ़ाया है. शिक्षा बजट में बढ़ोतरी नहीं हुई है. स्वास्थ क्षेत्र में पब्लिक इन्वेस्टमेंट नहीं नज़र आ रहा. बल्कि प्राइवेट, रियल एस्टेट को अत्यधिक सहूलियतें देकर , इनकम का दर 5 लाख रख कर जब की सवर्णो के आरक्षण की सीमा 8 लाख राखी है ये दर्शाता है कि मोदी बीजेपी सरकार ने इलीट प्रगल्भ और अमीरों के हक़ में ये बजट बनाया है.
बीजेपी का वोट बैंक और बीजेपी को आर्थिक सहाय करने वाले कॉरपोरेट का ही ध्यान रखा गया है. ये अंतरिम बजट देश के फायदे का नहीं साबित हुआ. सिर्फ अमीर उच्चवर्णीय कॉर्पोरेट के फायदे का साबित हो रहा है।
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