मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी में शुल्क वृध्दि को लेकर छात्रों का हल्ला बोल
By- Aqil Raza
मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (मानु) के 300 छात्रों ने शुल्क वृद्धि को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। और प्रशासन की इमारत के सामने जुमा की नमाज पढ़ी। प्रशासन के कदम को मनमानी और विरोधी कहते हुए छात्रो ने कक्षाओं का बहिष्कार किया और वृद्धि के रोलबैक की मांग के लिए नारे लगाए। छात्रों ने नारे लगाते हुए कहा कि “बेटी को पढ़ाना है फीस नहीं बढ़ाना है” “मानु को बचाना है फीस नहीं भढ़ाना है” “मइनोरिटी को पढ़ाना है फीस नहीं बढ़ाना है”।
उन्होंने कहा कि जब तक प्रॉस्पेक्टस में दी गई ‘मनमानी शुल्क में वृद्धि’ खत्म नहीं की जाएगी वो धरना प्रदर्शन करते रहेगें । इस दैरान छात्रो ने दूसरे लोगों से भी भूख हड़ताल पर बैठने को कहा और खुद भी छात्र यूनियन सदस्य अनिश्चित काल की भूख-स्ट्राइक पर बैठ गए। छात्रों के यूनियन अध्यक्ष अताउल्लाह नियाजी ने कहा, “पिछले साल भी बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन समस्या लगातार चलती रहती है और गरीब पृष्ठभूमि से कई छात्र पीड़ित हैं। मानु वंचित वर्गों की जरूरतों को पूरा करने के लिए जाना जाता है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गुणवत्ता की शिक्षा का उद्देश्य उद्देश्य नहीं है और प्लेसमेंट की दरें कम हैं। ”
वहीं छात्रों ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय ने वाई-फाई कनेक्शन को बंद कर दिया जिससे उनका विरोध सोशल मीडिया पर नहीं फेल सके। हालांकि, अधिकारियों ने इस आरोप को नाकारते हुए कहा कि सिस्टम मरम्मत के अधीन था, और इंटरनेट सेवा को तुरंत बहाल किया गया था।
लेकिन विचार करने वाली बात ये है कि एक तरफ सराकर ‘’सबका साथ सबका विकास’’ और बेटी बचाऔ बेटी पढ़ाऔ” यानी एजुकेशन को बढ़ावा देने की बात करती है, लेकिन अगर इस तरह फीस में बढ़ोतरी होती रहेगी तो क्या क्या गरीब छात्र एक साथ पढ़ सकेंगे। जबकि ये बात तो साफ है कि मोलाना आज़ाद नेशनल उर्दू युनिवर्सिटी गरीब और वंचित वर्गों को शिक्षा देने के लिए जानी जाती है। ऐसे में ये साफ जाहिर होता है कि सरकार द्वारा फीस वृद्धी के लिए उठाया गया कदम कितना शर्मनाक है।
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