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Opinions - Social - State - June 25, 2018

‘मॉब लिंचिंग’ का शिकार होता हमारा देश…

-आकिल रज़ा

देश में मॉब लिंचिंगा की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। यह जो मॉब-लिंचिंग हो रही है, उसमे सिर्फ मुसलिम ही नहीं मारे जा रहे हैं बल्कि हर तबके के लोग इसके शिकार हो रहे हैं, लेकिन ज्यादातर घटनांए मुस्लिम और बहुजन समाज से आने वाले लोगों के साथ हो रही है। ऊना कांड से लेकर अखलाक, पहलू खान, उमर खान, जुनेद और अब कासिम भी मॉब लिंचिग का शिकार हो गया। इसीलिए यह एक देशव्यापी संकट का दौर है।

मुसलमानों को खास तौर से, खास मकसद से टारगेट किया जा रहा है. और इसमें गौर करने की बात ये भी है की मुस्लिमों में भी पसमांदा मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है, जैसे कि झारखण्ड में जो मारे गये, वो पसमांदा मुस्लिम थे. मेवात में जो मारे गये, वो पसमांदा मुस्लिम थे, नजीब जिसको JNU से ले जाया गया पसमांदा है, वो भी एक माब लिंचिंग की ही घटना थी।

तो सवाल ये है की जो कमजोर होता है समाज में उसको ही टार्गेट क्यों किया जा रहा है। जब हम दंगा-फसाद का इतिहास देखते हैं तो जो लोग सुरक्षित जगहों पर रहते हैं, या जिन को लाइसेंसी असलहा मिला हुआ होता है, या जो लोग पॉशकॉलोनियों में रहते हैं, वे लोग कम विक्टिम होते हैं. लेकिन जो लोग फुटपाथ पर अपनी गुजर वसर करते हैं, जो स्टेशन से, बस स्टैंड से पैदल अपने घर जा रहे होते हैं, और जो रोड किनारे छोटी-छोटी खोलियां होती हैं, उनपर ही हमला होता है।

यह महज़ एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि यह समस्या पूरी तरह से देश में फैली हुई है। और इसके सामने पिछले सालों से लॉ एंड ऑर्डर नतसमस्तक होता दिखाई दे रहा है।

पुलिस के लोग भी इनके शिकार हो रहे हैं। कश्मीर में जो इंसान मस्जिद की हिफाजत के लिए गया था वो मुस्लिम अफसर था, उसको मारा गया, वो भी तो मॉब लिंचिंग की घटना है. तो ये नफरत की बात चाहे जो भी करे, फिर चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान हो गलत हैं। चाहे वो ‘जय श्री राम’ का नारा लगा कर के करे चाहे ‘या अली’ का नारा लगाकर करे हर तरह की घटनाओं के हमें खिलाफ अवाज़ उठानी होगी। इस तरह की घटनाओं के खिलाफ हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई हम सभी लोग एक साथ आए, और एक रैली निकाल कर मार्च कर रहे हैं।

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