जानिए स्त्रीकाल के संपादक ने नेशनल इंडिया न्यूज़ की गुणवत्ता को किस तरह सराहा
By- Sanjeev Chandan
यू-ट्यूब, व्हाट्सएप और फेसबुक की बढ़ती पहुंच और सस्ते डाटा की उपलब्धता से सोशल मीडिया की डेमोग्राफी भी बदली है। यही कारण है कि पिछले वर्षों में दलित-बहुजन ऑनलाइन मीडिया की शुरुआत हुई है। इनकी व्यूअर/रीडर संख्या लाखों में है। इनकी बढ़ती पहुंच से संघ खेमे में भी कम बौखलाहट नहीं है। अमित शाह सहित भजापा के दिग्गजों को कहना पड़ रहा है कि सोशल मीडिया से सावधान, अफवाह से सावधान- अफवाह ब्रिगेड, जिसने सोशल मीडिया पर गंध फैला रखी थी, कभी अब सोशल मीडिया पर व्यापक होते अपने ही सच से घबराया हुआ है।
आज राउंड टेबल, नेशनल दस्तक, दलित दस्तक, नेशनल इंडिया न्यूज जैसे ऑनलाइन चैनल और पॉर्टल निरन्तर व्यापक होते गये हैं। बहुजनों का अपना मीडिया घराना फॉरवर्ड प्रेस था ही पहले से। कस्बों, शहरों से निकलने वाले पत्रों की संख्या भी बहुत बड़ी है।
पेशे से डॉक्टर और प्रखर बहुजन प्रवक्ता तथा नेता डॉ. मनीशा बांगर ने भी नेशनल इंडिया न्यूज के रूप में एक अपना पॉर्टल और ऑनलाइन चैनल बहुजन-भारत को दिया है।
ये चैनल अपनी पहुंच और गुणवत्ता के मामले में उत्तरोत्तर विकास की ओर होंगे। सूचनाओं और ज्ञान का स्थायी ठिकाना।
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