प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण देने वाले नीतीश दरअसल सरकारी सेक्टर का भी आरक्षण खत्म करना चाहते है!
नई दिल्ली। यूं तो बिहार में सीएम नीतीश कुमार प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण देने की वकालत कर चुके हैं. लेकिन सवाल कई है कि क्या इसके पीछे कोई साजिश छुपी हुई है या फिर सच में जनता के हित में विचार किया गया है। वहीं दूसरा पहलू यह भी है कि सीधे तौर पर आरक्षण खत्म करने की बात भी नहीं कह सकते क्योंकि इससे उन सियासी नुमाइंदों का करियर खत्म हो जाएगा।
बीते दिनों सीएम नीतीश का एक बयान आया जिसमें उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। लेकिन जब हमने इस संबंध में और बिहार में आरक्षण की स्थिति को लेकर पटना हाईकोर्ट के वकील नवनीत यादव से बातचीत की तो सच्चाई चौंकाने वाली सामने आई।
एडवोकेट नवनीत यादव के मुताबिक बिहार में आउटसोर्स का एक फंडा निकाला गया है. जिसके तहत सरकारी नौकरियों में जो लोग नियुक्त किए जाएंगे उनके बीच में एक एजेंसी काम करेगी। उस एजेंसी का काम सरकारी विभाग में भर्ती करने हेतु अभ्यार्थी उपलब्ध कराने का होगा। एजेंसियों का सीधा संपर्क सरकार से होगा। जैसा कि वर्तमान समय में जारी भी है।
यानी कि सरकारी नौकरी में सीधी भर्ती न होकर उन एजेंसी के द्वारा नियुक्ती की जाएगी। अब दूसरा पहलू इसका यह है कि जिस तरह से सरकारी नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था है वही नियम यहां लागू होगा। लेकिन अब यहां सोचने वाली बात यह है कि यह व्यवस्था पहले से ही है तो फिर बीच में एजेंसियों की जरुरत क्यों ?
एडवोकेट नवनीत यादव ने इस मसले पर गंभीर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सीधी भर्ती न होने से अभ्यार्थियों को बहुत नुकसान हो रहा है क्योंकि सरकार द्वारा दिए जा रहे वेतन में एजेंसियां कटौती कर रही है. मान लीजिए सरकार किसी एक नौकरी का वेतन 30 हजार रुपये देती है तो एजेंसियां अभ्यार्थी को 10 हजार ही दे रही हैं।
नवनीत यादव का कहना है कि एक साजिश के तहत आरक्षण खत्म करने की कोशिश की जा रही है. प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण देने की बात कर रहे हैं और सरकारी आरक्षण को ही हड़पने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि इस तरह से निजीकरण को बढ़ावा देकर सरकारें आरक्षण खत्म करने की फिराक में हैं।
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