बहुजन पत्रकार नवल किशोर को जान से मारने की धमकी, और सब खामोश
BY: RATNESH YADAV
कई पत्रकारों की हत्या इसलिये हो गई क्योंकि वो शिक्षा माफियाओं, बालू खनन माफियाओं, सामंती माफियाओं, और उद्योगपतियों के गुंडों के खिलाफ आवाज उठाते रहे। कई ऐसे भी पत्रकारों की हत्या हो गई जो लोग समाज में जातिय हिंसा और जातिय शोषण के खिलाफ वंचितो के हक़/अधिकार की बात उठाते रहे। और कुछ ऐसे पत्रकारों की हत्या कर दी गई जो समाज में फैले अंधविश्वास पर लगातार चोट करते रहे और अंधविश्वास के नाम पर पाखंडियों को जेल में भेजवाते रहे। इन सभी पत्रकारों को एक दो बार धमकी मिलती थी उसके बाद सीधे हत्या कर दी गई।
ऐसे ही आज कल बिहार में एक ख़ास जाति द्वारा बनाये गये रणवीर सेना के गुंडे फार्वर्ड प्रेस के सम्पादक नवल किशोर को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। ज्ञात हो कि फार्वर्ड प्रेस ने सबअलटर्न के साहित्य को लगातार छापा है क्योंकि हमारे देश में साहित्य के नाम पर कुछ जातियों का ही साहित्य पढ़ने को मिलता है जिसमें से ज़्यादातर साहित्यकार अपने जीवन में शुद्धरूप से मनुवाद के सिद्धान्तों का पालन किया।
फार्वर्ड प्रेस वंचित तबके के साहित्य को लेकर देश में एक नई बहस चलाने में सफल रहा है। ये पत्रिका किसी बडे उद्योग घराने के पैसों से नही चलता। इस पत्रिका को चलाने के लिये समाज के आमजन अपनी छोटी कमाई से सहयोग करते हैं। इस समय बहुजन समाज को लेकर जितने भी मीडिया, न्यूज पोर्टल या मैगज़ीन चल रहे हैं उनमें से किसी को उद्योगपतियों का फ़ंड नही मिलता। लेकिन सबको जान से मारने की धमकी मिलती रहती है।
इसी धमकी के क्रम में सोशलिस्ट फ़ैक्टर के सम्पादक को 29 मार्च 2016 को इलाहाबाद के एक मनुवादी ने धमकी दी थी कि “फ़्रैंक तुम्हारी लाश गिरने वाली है”। सोशलिस्ट फ़ैक्टर एक अंतराष्ट्रीय मैगज़ीन है जो अपने शुरूवाती दिनों से सामाजिक न्याय के एजेंडे को लेकर आगे बढ़ रहा है। सबअल्टर्न वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के लाखों फ़ॉलोवर सोशल मीडिया पर हैं। तमाम राजनीतिक दल के नेता इनसे सम्पर्क बनाये रहते हैं के बावजूद मनुवादी मीडिया और उसके प्रगतिशील पत्रकार अपने प्राइम टाइम में नही बुलाते क्योंकि मंडल जी ने मनुवाद को खुली चुनौती दे रखी है जिसके चलते हर दिन उनको अश्लील गालियाँ दी जाती हैं, जान से मारने की धमकी दी जाती है।
पिछले चार-पाँच सालों से रवीश कुमार चीख़ चिल्ला रहे हैं कि उनको जान से मारने की धमकी मिल रही है। जब से ये बात रवीश कुमार बोल रहे हैं तब से ना जाने कितने पत्रकारों को धमकियाँ मिली और कितनों की हत्यायें हो गई, लेकिन रवीश कुमार पर एक खरोंच तक नही आई। रवीश कुमार जिस न्यूज चैनल में नौकरी करते हैं उसे बडे़ बडे़ उद्योगपति फ़ंड देते हैं जिससे रविश कुमार को मोटी तनख़्वाह मिलती है। जिस वेदान्ता कम्पनी के अनिल अग्रवाल ने हाल ही में तमिलनाडू में कॉपर मेलटिंग प्लांट का विरोध कर रहे लोगो पर गोलियाँ चलवा रहा था। उसपर एक भी प्राइम टाइम नही किया रवीश कुमार ने क्योंकि वही अनिल अग्रवाल इनके तनख़्वाह के लिये फ़ंड देता है और एनडीटीवी के मालिक के साथ मंच साझा करता है।
रवीश कुमार को निश्चिंत रहना चाहिये, उनको कोई नही मार सकता। क्योंकि रवीश कुमार को सुरक्षा देने के लिये बहुत से शक्तिशाली उद्योगपति बैठे हैं। ख़ैर रवीश कुमार को कोई मारेगा भी क्यों? उनके प्राइम टाइम में न तो सामंतवादी सत्ता को, न तो मनुवादी सत्ता को चुनौती दी जाती है।
भारत में प्रगतिशील बनने के लिये ग़ैर ब्राह्मणीकरण करना जरूरी है। राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार जो अपने आप को एक तरफ़ प्रगतिशील दिखाते हैं दूसरी तरफ़ ट्विट करते हैं कि उनको सारस्वत ब्राह्मण होने पर गर्व है।
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