जब रवीश कुमार के लिए आवाज़ उठाई जा सकती है तो बहुजन पत्रकार नवल किशोर की जान के लिए क्यों नहीं?
BY: DEEPALI TAYDAY
नई दिल्ली। बहुजन मुद्दों की अग्रणी पत्रिका और न्यूज़ पोर्टल “फॉरवर्ड प्रेस” के संपादक नवल किशोर को रणवीर सेना समर्थकों की तरफ से लगातार जान से मारने और उनके घर की महिलाओं से रेप करने की धमकियां मिल रही है।
कारण हैं ब्रह्मेश्वर मुखिया। 1 जून, 2018 को भोजपुर जिला के खोपिरा में रणवीर सेना प्रमुख रहे ब्रह्मेश्वर मुखिया की प्रतिमा स्थापना का आयोजन था। बिहार में बहुजनों और मुस्लिमों का कत्लेआम करने वाले की मूर्ति लगाए जाने का नवल किशोर कुमार ने 27 मई, 2018 को अपनी फेसबुक पोस्ट में विरोध किया था। तब से रणवीर सेना वाले नवल कुमार और उनके परिवार के खून के प्यासे बने हुए हैं।
ब्रह्ममेश्वर मुखिया के बारे में कहा जाता है कि उसने रणवीर सेना के लोगों से कहा था कि जहां भी नरसंहार करने जाओ वहां बहुजनों के बच्चों को भी मत छोडो। वे संपोले हैं, बडे होकर नक्सलवादी बनेंगे। रणवीर सेना ने अलग-अलग नरसंहारों में सैंकड़ों बच्चों को गाजर-मूली की तरह काट डाला। गर्भवती महिलाओं के गर्भ चीर डाले औऱ युवतियों के स्तन काट डाले। रणवीर सेना ने पूरे बिहार में दलितों-पिछड़ों की टोलों-मौहल्लों से चुन-चुन कर लोग मारे।
लेकिन भूमिहारों के आतंक, सवर्ण सरकार के सहयोग और सबूत मिटा दिए जाने के चलते मुखिया पर आरोप सिद्ध नहीं हुए। 1 जून 2012 में अज्ञात हमलावरों ने मुखिया को गोलियों से भून दिया था। उसके हत्यारों का आज तक पता नहीं चल सका है। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।
नवल किशोर रणवीर सेना पर रिपोर्टिंग करने वाले देश के प्रमुख पत्रकारों में से एक हैं। उन्होंने न सिर्फ रणवीर सेना की करतूतों का विस्तृत अध्ययन किया है, बल्कि मुखिया का एकमात्र उपलब्ध वीडियो इंटरव्यू भी किया था। नवल किशोर ने फारवर्ड प्रेस (जुलाई,2012) की कवर स्टोरी करते हुए शीर्षक दिया था- ‘किसकी जादूई गोलियों ने ली बिहार के कसाई की जान’।
एक नरपिशाच की मूर्ति लगाए जाने का विरोध जायज़ भी था और जरूरी भी। जब रवीश कुमार के लिए आवाज़ उठाई जा सकती है तो हम बहुजनों की आवाज़ ऊठाने वाले पत्रकार बहुजन पत्रकार नवल किशोर की जान के लिए क्यों नहीं?
मैं नवल किशोर के साथ हूँ।
नोट: यह लेख हमें दिपाली तायड़े ने भेजा है जो बहुजन मुद्दों पर काफी बेबाकी से अपनी राय रखती हैं।
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