मॉब लिंचिंग के खिलाफ 49 सेलिब्रेटी की चिट्ठी के बाद नुसरत जहां भी खुलकर बोलीं!
By: Susheel Kumar
देश में धार्मिक पहचान के कारण हेट क्राइम के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए प्रबुद्ध नागरिकों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा है, उन्होंने पत्र में कहा है कि ”जय श्री राम नारे का उद्घोष भड़काऊ नारा बनता जा रहा है और इसके नाम पर पीट-पीट कर हत्याओं के कई मामले सामने आ चुके हैं। फिल्मकार अडूर गोपालकृष्णन और अपर्णा सेन, गायिका शुभा मुद्गल और इतिहासकार रामचंद्र गुहा, समाजशास्त्री आशीष नंदी समेत 49 नामी शख्सियतों ने 23 जुलाई को यह पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि ”असहमति के बिना लोकतंत्र नहीं होता है। पत्र में कहा गया है कि हम शांतिप्रिय और स्वाभिमानी भारतीय के रूप में अपने प्यारे देश में हाल के दिनों में घटी कई दुखद घटनाओं से चिंतित हैं।
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी 49 हस्तियों वाली चिट्ठी पर कई नेताओं की प्रतिक्रिया आ रही है। इसी बीच टीएमसी सांसद नुसरत जहां ने भी इस मामले पर अपना पक्ष रखा है। सांसद बनने के बाद से ही मीडिया की सुर्खियों में रहने वालीं तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहां ने भी ट्वीट कर इस मामले पर अपनी राय रखी है। नुसरत जहां ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक पत्र ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है, “आज जहां हर कोई सड़क, बिजली, विमानन जैसे मुद्दों पर बात कर रहा है, मुझे खुशी है कि हमारी सोसाइटी ने एक बहुत बुनियादी मुद्दा उठाया है, “इंसान की जिंदगी।”
नुसरत जहां ने अपने पत्र में लिखा है, ‘मुझे हमारे नागरिकों से बहुत उम्मीद है कि वह अपनी आवाज उठाएंगे और इस पर कम से कम अपना योगदान देंगे। हेट क्राइम और मॉब लिंचिंग की घटनाएं हमारे देश में बढ़ती जा रही हैं। साल 2014 से लेकर 2019 के बीच में ये घटनाएं सबसे ज्यादा हुई हैं और इसमें दलितों, मुसलमानों और पिछड़ों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया है। 2019 से लेकर अब तक 11 हेट क्राइम्स और 4 हत्याएं हो चुकी हैं और ये सारे दलित और माइनॉरिटी थे।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘ गोरक्षा और बीफ खाने की अफवाह पर नागरिकों पर हमले की कई घनटाएं आ चुकी हैं। सरकार की चुप्पी और निष्क्रियता हमें चिंतिंत करती है।’ नुसरत जहां ने अपने इस पत्र में पहलू खान, तबरेज और अन्य पीड़ितों के नाम का उल्लेख किया है,जो कहीं न कहीं मॉब लिंचिंग के शिकार हुए हैं।
नुसरता जहां ने अपने पत्र में आगे लिखा- भगवान राम के नाम पर हत्याएं की जा रही हैं. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामले रोकने का आदेश दे चुका है मगर सरकार खामोश है. नुसरत जहां ने आगे लिखा कि मैं सरकार से आग्रह करती हूं कि मॉब लिंचर्स द्वारा लोकतंत्र पर हमले को रोकने के लिए कानून बनाए।’नुसरत जहां ने अपने पत्र के आखिरी में इकबाल की रचना “सारे जहां से अच्छा” की कुछ लाइनें लिखी हैं। मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा।
बहराल यह तो रही नुसरत जहां के ट्वीट की बात, लेकिन हमारा सवाल यह है कि जो प्रधानमंत्री सदन में मॉब लिंचिंग को दुखद बताते हैं तो फिर जमीनी स्तर पर क्यों मॉब लिंचिंग रुकने का नाम नहीं ले रही हैं, 24 जुलाई यानी बीते दिन ही मध्यप्रदेश के इंदौर में एक शख्स को बच्चा चोरी के शक में भीड़तंत्र ने पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। वहीं जिस तरह से पीएम मोदी को भेजे गए 49 बुद्धिजीवियों द्वारा पत्र को लेकर मैनस्ट्री मीडिया में बहस छिड़ गई है, कि फिर आया असहिषुण गैंग घुम के…यह बहस तब क्यों नहीं होतीं जब मॉब लिंचिंग होती हैं, भीड़ किसी पर भी कभी चोरी के शक में तो कभी गौमांश के शक में हत्याएं कर रही है, आखिर इसकी जवाबदेही किसकी है, क्यों सरकार सुरक्षा देने में नाकाम साबित हो रही है, क्यों केंद्र और राज्य सरकारें इस पर कोई कड़ा कदम नहीं उठा रहीं हैं जिससे की बेखौफ भीड़ पर लगाम लग सके। जब प्रधानमंत्री जी सदन में कहते हैं कि मॉब लिंचिंग सही नहीं तो फिर ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात क्यों नहीं कहते, क्यों ऐसे गुंड़ों के खिलाफ एक्शन नहीं लेते जो कानून को अपने हाथों में लेकर कत्लयाम कर रहे हैं। इसलिए जरुरी है कि पीएम मोदी जी को इस चिट्ठी पर संज्ञान लेना चाहिए और मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए, ताकि देश में अमन ओ चैन कायम हो सके।
-सुशील कुमार
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