बुधनमा आज पा रंजीत की बारी
फिल्मी दुनिया खाली फिल्मी नहीं होता है समझे बुधनमा भाई। कुछ लोग होते हैं जो सच कहने का साहस भी दिखाते हैं।
का हो गया नवल भाई। आज सुबह-सुबह फिलिम-विलिम की बातें। कोई सिनेमा में रोल मिल गया का। एतना चहक काहे रहे हैं?
चहकने वाली बात ही है बुधनमा भाई। एक फिल्म तो तुमने देखी ही होगी। अरे वही रजनीकांत की फिल्म काला।
हां, देखे थे। ऐसे भी साउथ के फिलिम सब होता बहुते झकास है। हीरो तो एके वार में सैंकड़ों को मार गिराता है। लगता है जैसे कि बजरंग बली का पूरा ताकत ओकरे में समा जाता है। धांसू फिलिम होता है सब। रजनीकांत के तो बाते दूसर है। लेकिन आप काहे चहक रहे हैं। आपने अभी तक बताया नहीं?
कहां यार तुमको हम कुछ अच्छा बात बताना चाहते हैं और तुम हो कि फैंटा-फैंटी की बात करने लगे। बाहुबली टाइप के फिल्म की बात नहीं कर रहा हूं मैं। काला फिल्म के निर्देशक पा रंजीत की बात कर रहा हूं। जानते हो, उनके उपर तामिलनाडु के थंजाउर जिले की पुलिस ने एक मुकदमा दर्ज किया है। मुकदमा करने वाला एगो ब्राह्मण है। उसका नाम है – मक्काल काची।
इ कैसन नाम है नवल भाई? ल को हटा दें तो मक्कार नहीं हो जाएगा। ऐसे भी ब्राह्मण सब मक्कारी ही तो करता है। खैर जाए दिजीए, मुकदमा कौन बात के? नरेंद्र मोदी को अपन फिलिम में चोर बना दिया का?
नहीं यार बुधनमा। पा रंजीत पर आरोप है कि उन्होंने दसवीं सदी के चोल (सवर्ण) राजा के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है। इसी बात पर मुकदमा दर्ज हुआ और कल मद्रास हाईकोर्ट में सुनवाई थी। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि वह पा रंजीत को गिरफ्तार नहीं कर सकी। असल में पा रंजीत ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी। सुनवाई इसी बात पर हो रही थी।
त कोर्ट ने क्या कहा नवल भाई?
कोर्ट ने फिलहाल तो कुछ नही कहा। 19 जून को फिर सुनवाई होनी है। लेकिन इ मामला है दिलचस्प।
कैसे नवल भाई। जबतक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता है तब तक दिलचस्प कैसे?
पा रंजीत ने जो कुछ अपने बेल पिटिशन में कहा है, वह दिलचस्प है। उन्होंने कहा है कि बहुजनों के एक कार्यक्रम में उन्होंने भाषण दिया था कि चोल वंश के युग जिसको वहां के ब्राह्मण सब स्वर्ण युग कहते हैं, झूठ है। असल तो यह है कि चोल वंश के राजा बड़े दुष्ट होते थे। शूद्रों पर जुल्म करते थे। उन्हें गुलाम बनाकर रखते थे। शूद्र महिलाओं को देवदासी बनने पर मजबूर करते और भगवान के नाम पर अपनी हवस मिटाते थे।
अरे वाह। पा रंजीत तो कमाल के आदमी हैं। ब्राह्मण सबके धो दिए।
हां, उन्होंने यह भी कहा कि वह जो कह रहे हैं, इतिहास में दर्ज है। कई लोगों ने पहले भी कहा है। इसमें गलत क्या है।
ए नवल भाई। आज हम आपको थैंक्यू बोलना चाहते हैं। ऐसहीं खबर बताया करिए। मन हरियर हो जाता है। जबतक इ जातिवाद रहेगा न तबतक हमनी सब जातियों में बटे रहेंगे। यादव, कोईरी, धोबी, चमार, पासी। हमनी इंसान कब बनेंगे नवल भाई?
लेखक- नवल किशोर कुमार, वरिष्ठ पत्रकार, फॉरवर्ड प्रेस, हिंदी. नवल किशोर जी अपने लेखों के जरिए नेशनल इंडिया न्यूज को भी लगातार अपनी सेवा दे रहे हैं।
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