Home Social Politics मायावती ने बहुजन एकता की खातिर कितनी बड़ी कुर्बानी दी :- जानिए बहुजन बुद्धिजीवियों से
Politics - April 20, 2019

मायावती ने बहुजन एकता की खातिर कितनी बड़ी कुर्बानी दी :- जानिए बहुजन बुद्धिजीवियों से

By-Dr Manisha Bangar,Kankalata Yadav

बहुजन चेतना के खातिर बहुजन एकता की खातिर मायावती जी ने व्यक्तिगत स्तर पर बहुत बड़ी कुर्बानी दी. नेता जेंडर न्यूट्रल होता है लेकिन समाज उसे खासकर महिला नेता को जेंडर न्यूट्रल की नजर से नहीं देखता. वह उसे जाती और जेंडर दोनों की चौखट में देखता है. यही इस गंदे ब्राह्मणवादी संस्कृति की देन है.
महिला होने के नाते और बहुजन समाज की नेता होने के नाते
हम समझ सकते है को कितना कठिन गया होगा गेस्ट हाउस कांड को परे रखकर एकजुट होना.

इसमें इस बात का भी स्वागत करना चाहिए कि मुलायम सिंह जी और अखिलेश यादव दोनों की भाषा शैली , और सम्पूर्ण आदरपूर्ण व्यवहार तथा मंच से एक क्लियर मेसेज जो उन्होंने अपने पार्टी वर्कर्स को दिया …बहुजन ओबीसी को दिया इस बात को दर्शाता है कि वे क्षमा याचना कर रहे थे और अपनी भूल कबूल कर रहे थे.

ये एक तस्वीर है।
कल से चल रही है, कुछ लोग कह रहे हैं ऐतिहासिक है, कुछ लोग कह रहे हैं पिक ऑफ द ईयर है, कुछ लोग कह रहे हैं कि लोग जल कर मर जायेंगे इस तस्वीर को देख कर, कुछ लोग मायावती और मुलायम की महानता बता रहे हैं आदि। बाकी भी बहूत से स्टेटमेंट कल से इस तस्वीर पर आ रहे हैं।
मैं भी कल से देख रही हूँ और इस तस्वीर को बहुत बार देखा मैंने। बहुत से अंतर्द्वंद, सवाल और सोचने के बाद जो मुझे लगा वो एक उदासी और चिंता भी है साथ ही ये तस्वीर सकारात्मक भी मानी जा रही है लेकिन मुझे डर है कि ये सिर्फ कुछ पार्टी हितों के लिए ली गयी एक तस्वीर है। हालांकि बहन जी ने पूरे वीडियो में मुझे बहुत प्रभावित किया और यकीनन ये बेहद साहसिक निर्णय है कि गेस्ट हाउस कांड को वो महिला भूलकर ( हालांकि भूलना शब्द ठीक नहीं है) अपने अपराधी के साथ मंच साझा कर रही हैं ताकि बहुजन चेतना का सन्देश समाज में जाये।
लेकिन क्या बहन जी के अलावा बाकी महिलाओं के लिए भी चीजें आसान हैं भूल जाना और किसी को माफ कर देना। क्या मैं एक बहुजन महिला होने के नाते ये अफ्फोर्ड कर सकती हूं? मैं कल से सोच रही हूँ कि बहन जी के लिए पर्सनली कितना मुश्किल होगा ये, कितना अंतर्द्वंद उनके मन में चलता होगा लेकिन अभी फिलहाल चुनाव हैं और पॉलिटिक्स में कई अनचाही चीजें करनी पड़ती हैं।
लेकिन बहन जी को ये भी क्लियर मैसेज देना चाहिए कि आगे से कोई भी सामन्ती, जातिवादी पुरुष महिलाओं के खिलाफ गेस्ट हाउस कांड या कोई भी महिला विरोधी हरकत करने की हिम्मत नहीं करे। नहीं तो पुरुष ऐसा करते रहेंगे और आश्वस्त रहेंगे की महिलाएं उन्हें माफ कर देंगी।

Via~Dr Manisha Bangar and Kankalata Yadav

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