मुश्किल में बाबा रामदेव, सरकार ने लिया बड़ा एक्शन !
कोरोना का कहर पूरी दुनिया में चरम पर है कई देशों ने कोरोना पर काबू पा लिया है। तो कई देश अभी भी इस महामारी से बचने के लिए जद्दोजहद कर रहे है। साथ ही साथ कई देश ऐसे भी है जो इस कोरोना वायरस की दवाई की वैक्सीन ढूढने पर लगे है। लेकिन इन सब कोशिशों के बीच योग गुरु बाबा रामदेव से जुड़ी कंपनी पतंजलि ने मंगलवार को ऐलान किया कि उसने कोरोना वायरस का इलाज करने वाली दवा कोरोनिल बना ली है।
बाबा रामदेव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस दवा को लॉन्च किया तो वहीं दूसरी ओर, केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने मीडिया में आई इस खबर के आधार पर इस मामले का संज्ञान लिया। मंत्रालय ने कहा कि पतंजलि कंपनी की तरफ से जो दावा किया गया है उसके फैक्ट और साइंटिफिक स्टडी को लेकर मंत्रालय के पास कोई जानकारी नहीं पहुंची है। इस पर बाबा रामदेव ने कहा कि हमने मंजूरी लेकर ही क्लिनिकल ट्रायल किया है, बाद में उन्होंने कहा कि दवा के बारे में सारी जानकारी आयुष मंत्रालय को दे दी गई है।
लेकिन बड़ा सवाल ये उठ रहा है की बड़े-बड़े देश इस वायरस की दवाई नहीं ढूंढ पाए तो योग गुरू बाबा रामदेव ने कैसे ढूंढ ली। अगर इसपर गौर किया जाए तो इसका एक तार बाबा रामदेश को जनता से पैसा ठगने से भी जोड़ता है। क्योंकि की ये कोई पहली बार नहीं है इससे पहले भी बाबा रामदेव ने कैंसर जैसी खतरनाक बिमारी की दवाई बनाने की भी बात कही थी। लेकिन वो दवाई क्या निकली ये बात किसी से छिपी नहीं है।
जानकारी के लिए बता दें की पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट की ओर से मंगलवार शाम आयुष मंत्रालय को एक पत्र भेजा गया है जिसमें दवा से जुड़ी सारी जानकारी दी गई। जिसको लेकर बाबा रामदेव ने कहा कि यह सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन और गौरव देने वाली है, जो कम्युनिकेशन गैप था, वह दूर हो गया है। उन सबको 100 फीसदी पूरा किया गया है, इसकी सारी जानकारी आयुष मंत्रालय को दे दी गई है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की पतंजलि ने आयुष मंत्रालय को भेजे गए पत्र में दवा और उसके कंपोजिशन के बारे में जानकारी दी है की इसे कैसे इस्तेमाल करना है, इसके बारे में भी जानकारी दी गई है। लेकिन सरकार का इसपर सवाल उठाना लाजमी है क्योंकि जिस तरीके अचानक पंतजलि कोरोना की दवाई लेकर सामने आया है ये कही ना कही ये सोचने पर मजबूर करता है की ये वाकई जनता के फायदे के लिए है भी या नहीं। जिसको देखते हुए सरकार ने इस दवाई के विज्ञापन पर भी रोक लगा दी है।
आयुष मंत्रालय को भेजे गए पत्र में यह भी बताया गया है कि किस तरह के मरीजों को टेस्ट में शामिल किया गया। इसमें एसिम्पटोमेटिक, माइल्ड सिम्पटोमेटिक और मॉडरेट सिम्पटोमेटिक मरीज शामिल हैं। 15 से 50 साल के उम्र को इसमें शामिल किया गया है. टेस्ट के लिए 120 लोगों का सैंपल साइज लिया गया। लेकिन ये आने वाला वक्त बताएगा की ये दवाई जनता के फायदे के लिए या फिर पंतजलि के फायदे के लिए।
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