अमेरिकी रंगभेद को लेकर भारत में उठी आवाज़, तो तूतीकोरिन घटना के लिए चुप्पी क्यों ?
By_kirti kumar
अमरीका में रंगभेद के कारण अश्वेत नागरिकों को निशाना बनाया जाता है, तो वहीं भारत में जातिभेद यानी ब्राह्मणवाद के कारण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और लघुमती समुदाय पर पुलिस द्वारा दमन किया जा रहा..
भारत की जेलों में बंद क़ैदियों में सबसे ज़्यादा संख्या एससी/एसटी और लघुमती समुदाय के लोगों की है.. तमिलनाडु के तूतीकोरिन में मोबाइल की दुकान देर तक खुली रखने के मामले में पुलिस ने जयराज और उनके बेटे बेनिक्स को बेरहमी से पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया.. इस घटना को एक हफ़्ते से ज़्यादा समय बीत चुका है, अभी तक किसी पुलिस वाले पर ठोस कारवाई नहीं हुई.. ⠀
दुःख इस बात का है, कि अमरीका में पुलिस हिरासत में मारे गए अश्वेत अमरीकी नागरिक ज़ोर्ज फ़्लोयड के लिए अपनी डीपी काली कफ़ने वाले और ‘black lives matter’ का राग अलापने वाले भारतीय सेलिब्रिटी इस बार कहीं नहीं दिखाई दिए..
जयराज और बेनिक्स के हत्यारे अभी तक आज़ाद है.., नेता ख़ामोश मीडिया ख़ामोश है, भारत के संविधान को बेहोश कर अपराधी ब्राह्मणवाद के नशे में मदहोश है..
बहुजन समाज के लोगों पर पुलिसिया गुंडागर्दी बंद हो.. और जयराज और बेनिक्स के हत्यारों को सख़्त से सख़्त सज़ा हो.. उनके परिवार को इंसाफ़ मिलें..
ये लेख कीर्तिकुमार, सोशल एक्टिविस्ट के द्वारा लिखा गया है.
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