बहुजनांवर अत्याचार, बाबासाहेबांच्या घटनेचे उल्लंघन !
देश में बाबा साहब के संविधान बनाने के बाद भी बहुजनों की हालत इस समय खराब है. हिंदू पक्ष बहुजनांचा केवळ राजकारणासाठी वापर करतो., कारण त्यांची मते ही हिंदूंच्या ऐंशी टक्के मतांचा महत्त्वपूर्ण भाग आहेत.. मुसलमानों की तरह उनके बिना सत्ता का गणित पूरा करना संभव नहीं है इसलिए उनके घर जाकर खाना खाने का करतब दिखाने वालों का सिलसिला जारी है. बहुजनों को बहुजन कहा ही इसलिए जाता है क्योंकि उनकी हालत सदियों से ऐसी रही है. आज़ादी के बाद से, संविधान के ज़रिए मिले अधिकारों की वजह से उनकी हालत में कुछ सुधार आया है लेकिन आज़ादी के इतने सालों बाद बहुजन अपने भविष्य को सुरक्षित महसूस करता हो ये कहना मुश्किल है.
बीते सालों या महीनों में दलितों के विरोध प्रदर्शन, उसमें हुई हिंसा और पुलिस का रवैया, ऐसी चीज़ें बहुत कुछ साफ बयान करती हैं. सवर्णों में आरक्षण को लेकर जो तनाव और रोष है वो अब अलग ढंग से सामने आ रहा है. हिंदुत्व की राजनीति के प्रबल समर्थकों में ब्राह्मण और राजपूत शामिल हैं जो आरक्षण को एक आपदा की तरह देखते हैं, बहुजनों पर होने वाले हमले चाहे गुजरात के ऊना में हों या उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में या फिर बहुजन दूल्हे के घोड़ी पर बैठने को लेकर रोज़-रोज़ होने वाले बवाल, ज्यादातर मामलों में बीजेपी के यही प्रबल समर्थक और बहुजन आमने-सामने होते हैं जिनका समर्थन बीजेपी चाहती है.
दलितों पर सवर्णों के अत्याचार के मामले में बीजेपी का नेतृत्व चुप्पी की नीति अपनाता है, क्योंकि वह किसी एक का साथ देते हुए नहीं दिख सकता, वहीं दूसरी ओर आक्रामक हिंदुत्व के सिपाहियों को यही संदेश मिलता है कि सरकार उनके साथ है. ढूँढने पर एक भी मिसाल नहीं मिलती जब बहुजनों पर हमले करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की गई हो या फिर उन्हें कड़ी निंदा भी कभी झेलनी पड़ी हो. भारत में तकरीबन 40 करोड़ लोग बहुजन या मुसलमान हैं, क्या इतनी बड़ी जनसंख्या के बारे में जितनी बात होनी चाहिए और जिस गंभीरता से होनी चाहिए, हो रही है?
जबकि बहुजनों के इन सब अत्याचारों के सहन करने के बावजूद वे एकता से मिलकर रहने की भावना प्रकट करते है. इसमें उनका क्या दोष है ? दोष तो उनके साथ हो रहे भेदवाभावों और उनके साथ ये सब करने वाले सवर्णों का है. जिनसे अपना हक लेने की जरुरत है. लिहाजा इन सबके बावजूद बहुजन देश में अलगाव को मात दे एकजुटता की मिसाल कायम कर रहे है. अगर अमेरिकी जनता की तरह भारत की जनता भी एकजुट हो जाए तो सभी अलगाव, भेदभाव और जातिवाद खत्म हो जाएगा.
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