घर सामाजिक राजकारण अल्पसंख्याकांचे जीवन भाजपच्या राजवटीत असुरक्षित आहे- यूएस एजन्सी !
राजकारण - जून 22, 2020

अल्पसंख्याकांचे जीवन भाजपच्या राजवटीत असुरक्षित आहे- यूएस एजन्सी !

देश में लगभग 17 करोड़ मुसलमान बसते है. इन सबके बीच दुनियाभर के ये चार देश पुर्तगाल, हंगरी, स्वीडन और ऑस्ट्रिया की आबादी जो कुल चार करोड़ है. भारत की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में तकरीबन इतने ही मुसलमान बसते हैं. लेकिन फिर भी देश में इनके हक की बात कोई नही करता. यह अपने-आप में बेहद चिंता और चर्चा का विषय है, लेकिन भारत में मुसलमानों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व का मुद्दा कहीं नहीं है.

उदाहरण, गुजरात में पिछले ढाई दशक से सत्ता पर काबिज बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में एक भी मुसलमान उम्मीदवार खड़ा नहीं किया जबकि राज्य में मुसलमानों की आबादी नौ प्रतिशत है. बीजेपी की हिंदुत्व की राजनीति ने मुसलमानों के वोट और उनकी राजनीति को बेमान बना दिया है. बीसियों सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक मुद्दे हैं जिनके केंद्र में मुसलमान हैं, लेकिन वे सभी मुद्दे सिवाय मुसलमानों की देशभक्ति मापने के हाशिए पर हैं. ‘सबका साथ, सबका विकासके नारे के साथ सत्ता में आई बीजेपी के सब में मुसलमान हों, ऐसा दिखता तो नहीं है.

आबादी के अनुपात में मुसलमानों की नुमाइंदगी सिर्फ़ राजनीति में ही नहीं, बल्कि कॉर्पोरेट, सरकारी नौकरी और प्रोफ़ेशनल करियर के क्षेत्रों में भी नहीं है, इसकी तस्दीक कई अध्ययनों में हो चुकी है जिनमें 2006 की जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट सबसे जानी-मानी है. अख़लाक़, जुनैद, पहलू ख़ान और अफ़राज़ुल जैसे कई नाम हैं जिनकी हत्या सिर्फ़ इसलिए हुई क्योंकि वे मुसलमान थे.

अमरीकी एजेंसी यूएस कमेटी ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नरेंद्र मोदी के शासनकाल में धार्मिक अल्पसंख्यकों का जीवन असुरक्षित हुआ है. वही कई मामलों में देखा गया है कि कई इलाकों या शहरों में दंगों के पीड़ितों को इंसाफ़ नहीं मिला है, प्रधानमंत्री सांप्रदायिक हिंसा की निंदा तो करते है लेकिन उनकी पार्टी के लोग हिंसा भड़काने में शामिल रहते हैं.

बता दें कि अमेरिका में जिस तरह से केवल 35 करोड़ आबादी में नस्लवाद देखने को मिल रहा है, उसी तरह भारत में भी मुसलमानों को लेकर भेदभाव फैला हुआ है. लेकिन इसके बावजूद जॉर्ज फ्लायड की मौत के बाद श्वेत और अश्वेत दोनों एक जुट होकर इसकी निंदा कर रहे है. ये काफी सराहनीय कदम है. अगर भारत भी उनसे प्रेरणा ले तो देश से हर भेदभाव खत्म हो सकता है और लोगों में भाईचारे का पैगाम बांटेगा.

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