अयोध्या जन्मभूमि विवाद पर आज फैसला हुआ खत्म!
अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर 5 जजों की अगुवाई में आज बड़ा फैसला सुना दिया है. शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया गाया है. सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिये किसी मुनासिब जगह पर पांच एकड़ जमीन दी जाए. केंद्र और उप्र सरकार के साथ मिलकर 2.77 एकड़ जमीन को राममंदिर निर्माण के लिए प्राधिकार को तीन महीने तक का आदेश दिया हैं. वही इतिहासकारों के मुताबिक सन् 1526 में बाबर इब्राहिम लोदी से जंग लड़ने भारत आया था. बाबर के सूबेदार मीरबाकी ने 1528 में अयोध्या में मस्जिद बनवाई. बाबर के सम्मान में इसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया.
1959 : निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक जताया. 1989 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल पर यथास्थिति बरकरार रखने को कहा. 1992 : अयोध्या में विवादित ढांचा ढहा दिया गया. 2010 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बराबर बांट दिया.6 अगस्त 2019 : सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर हिंदू और मुस्लिम पक्ष की अपीलों पर सुनवाई शुरू की. 16 अक्टूबर 2019 : सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए आखिरी फैसला टाल दिया था.
लेकिन वकील जफरयाब ज़ालिनी का कहना है कि ‘फैसला हमें बाबरी मस्जिद नहीं देता, जो हमारे हिसाब से गलत है. हमारे लिए पांच एकड़ जमीन के कोई मायने नहीं हैं. हम फैसले से जरा भी संतुष्ट नहीं हैं. हम नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं. इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने पर विचार किया जाएगा. वहीं कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है. हम राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में हैं. इस फैसले ने न केवल मंदिर के निर्माण के लिए दरवाजे खोले बल्कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए बीजेपी के लिए दरवाजे भी बंद कर दिए हैं. बहरहाल सदियों पुराना चला आ रहा अयोध्या विवाद आज खत्म हो ही गया.
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