धर्म निरपेक्ष देश में मुस्लिम युवक की पिटाई, पुलिस खड़ी देखती रही
भारत देश को दुनिया में धर्म निरपेक्ष के नाम से जाना जाता है. लेकिन अब यह देश वैसा नही रहा जैसा माना जाता है. धर्म को लेकर ऐसा खौफनाक माहौल पहले नही देखा गया जो अब देखा जा रहा है. इसी को लेकर एक बेहद ही रौंगटे खड़ी कर देने वाली खबर सामने आई है. जिसे लेकर 37 वर्षीय मोहम्मद जुबैर ने अपनी आपबीती को बयान किया है. उनकी आपबीती सुनने के बाद लगा कि शायद ही कभी उनका जख्म भर पाएं.
मोहम्मद जुबैर ने बताया कि वह उत्तरी-पूर्वी में रहने वाले हैं. सोमवार को जब वह ईदगाह के लिए निकले तब उन्हें जरा सा भी अंदाजा नही था कि उस दिन उनके साथ क्या घटित होने वाला है.उन्होंने बताया कि सोमवार को मै ईदगाह से वापस लौट रहा था. जिसके बाद मैने घरवालों, बच्चों और बहन के लिए कुछ खाने-पीने की चीज़े खरीदी. मैं चीज़े लेकर बहन के घर जाने लगा. जिसके बाद मै खजूरी खास के आस-पास पहुंचा. वहां देखा कि वहां लड़ाई हो रही है और हिंदू-मुस्लिम हो रहा है. इसे देखते हुए मैने सोचा की मै भजनपुरा की ओर से चला जाता हूं. वहां के सबवे से होते हुए चांदबाग पहुंच जाऊंगा.
मै भजनपुरा मार्केट पहुंचा तो मार्केट बंद थी. उस दिन मैने देखा कि वहां भी खूब शोर-शराबा और लड़ाइयां हो रही थी. मै उस दिन पूरे इस्लामी लिबाज में था. इसके बाद मै सबवे से नीचे उतरने लगा तो एक शख्स ने मुझे किसी ओर रास्ते से जाने की सलाह दी. उसने कहा कि यहां से जाने से रिस्क हो सकता है. मै उसकी बात मानकर दूसरे रास्ते से निकला. उन्होंने आगे बताया कि उस रास्ते पर भी पथराव और लड़ाइयां हो रही थी. इसके देखते हुए मै पीछे हटने लगा. तभी कुछ लोग मुझे घूरने लगे और मेरी ओर बढ़ने लगे. एक लड़के ने मुझसे बेहद ही अजीब लहजे में बात की. तभी उससे मेरी थोड़ी बहस हुई. और इसके बाद सभी लोग मुझ पर टूट पड़े जैसे मै कोई शिकार था.
भीड़ ने मेरे सिर पर रॉड मारे तलवार मारी और मारते ही रहे. मैने तो सोच लिया था कि मेरा मरना तय है. लेकिन तलवार मेरे सिर पर पूरी न पड़कर साइड में पड़ी. अगर पूरे सिर पर पड़ती तो बचने का कोई चांस नही होता. जुबैर को सिर्फ इतना याद है कि लोग मारते हुए जय श्री राम और मारो मुल्ला को नारे लगा रहे थे जिसके बाद कुछ लोग मुझे उठा कर ले गए और अस्पताल में भर्ती कराया.
जुबैर ने आगे बताया कि पुलिस आस-पास ही घूम रही थी लेकिन कोई बचाव के लिए नही आया. पुलिस और सरकार तो सब नाम की हो गई है. जब सरकार दंगे नही रोक पाई तो उनसे और क्या ही दरख्वास्त कर सकते है.
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