प्लॉट योगी सरकार बिलबोर्ड वाद, नव्या अध्यादेशानुसार जारी!
योगी सरकार लखनौ बिलबोर्ड प्रकरणात अलाहाबाद उच्च न्यायालयाने सुनावणी सर्वोच्च न्यायालयात आव्हान होते. पण उच्च न्यायालयाने आदेश आरोपी मुक्काम नाही वतीने सर्वोच्च न्यायालयाने. योगी सरकार चळवळ दरम्यान त्या हानीकारक खाजगी मालमत्ता वसुली सार्वजनिक किंवा नियम करण्याचा निर्णय घेतला आहे.
योगी कॅबिनेट सार्वजनिक आणि खाजगी मालमत्ता नियम नुकसान राज्य पुनर्प्राप्ती मंजूर शुक्रवारी दिली -2020. इस अध्यादेश को मंजूरी देनी की वजह सीएए हिंसा के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से भरपाई की वसूली के लिए और पोस्टर लगाने से संबंधित कार्यवाही पर हाईकोर्ट की फटकार के बाद यह अध्यादेश लाया गया है. लेकिन योगी सरकार के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने इसे पूरी तरह असंवैधानिक करार दिया है और यूपी सरकार के इस क़दम की कड़ी आलोचना की है.
गौरतलब है कि योगी सरकार ने सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने वाले 57 लोगों के पोस्टर लखनऊ में लगवाए थे. जो प्रदर्शनकारियों की निजी जानकारियां उजागर कर रही थी. जिसके बाद इलाहबाद हाई कोर्ट ने हॉर्डिंग हटाने के आदेश दिए थे. लेकिन योगी सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
वहीं इस मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने भी योगी सरकार के इस फैसले पर असहमति जताई थी. अदालत ने कहा था कि प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने वालों के पोस्टर लखनऊ में लगाए जाने के यूपी सरकार के फैसले पर तीन सदस्यीय पीठ को विचार करने के लिए दिया गया है. हालांकि कोर्ट ने इस मामले में इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे नहीं लगाया है.
बता दें कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान योगी सरकार को घेरा और कहा कि क्या उनके पास इस तरह के पोस्टर लगाने की पावर है. साथ ही कोर्ट ने योगी सरकार पर सवाल खड़े करते हुए यह भी पूछा है कि आरोपियों का पोस्टर लगाने का अधिकार किस कानून के तहत मिला है.
(आता राष्ट्रीय भारत बातम्याफेसबुक, ट्विटरआणिYouTubeआपण कनेक्ट करू शकता.)
मौलाना आझाद आणि त्यांच्या पुण्यतिथीनिमित्त त्यांचे स्मरण
मौलाना अबुल कलाम आझाद, मौलाना आझाद म्हणूनही ओळखले जाते, एक प्रख्यात भारतीय विद्वान होते, फ्रीडो…










