मजदूरों की बेबसी, सरकार के हाल पर रोए !
देश में 1 जून से रोज 200 ट्रेनें चलाए जाने की घोषणा भले ही कर दी गई हो लेकिन इस बीच अब भी सैंकड़ों मजदूर देश के कई राज्यों में फंसे हुए है. इन फंसे मजदूरों की सिर्फ मांग की उन्हें घर पहुंचना है. अगर उन्हें ट्रेनें नही उपलब्ध कराई गई तो वे मजबूरन पैदल ही घर वापसी के लिए निकल लेंगे.
दरअसल, लॉकडाउन के बाद कई राज्यों के मजदूरों ने पैदल ही घर वापसी का मजबूरन फैसला लिया. जिसके चलते कुछ मजदूर घर पहुंचे तो कुछ हादसे का शिकार हो गए. अब ऐसे में बेंगलुरु के मजदूरों ने भी पैदल ही घर जाने का फैसला किया है इसके अलावा कई मजदूरों ने ट्रेंन शुरू होने का इंतजार किया. लेकिन जो मजदूर ट्रेन के इंतजार में रुके हैं उन्हें ट्रेन के टिकट लेने की प्रक्रिया की जानकारी पता ना होने के चलते काफी मुश्किले हो रही है. इससे वह बेहद परेशान और लाचार महसूस कर रहे है.
वहीं इस बीच झारखंड के मजदूरों का कहना है कि हम बस यहां बैठे हैं है नहीं पता है कि कैसे ट्रेन का टिकट मिलेगी, हमने सोचा था कि हम यहां आएंगे और पुलिस स्टेशन की लाइन में लगकर टिकट लेलेंगे. लेकिन हम एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन ही भटक रहे हैं. जिसकी वजह से हमें अभी तक टिकट नही मिली है और दर-दर भटकने में ही दिन गुजर रहे है.
इस बीच मजदूरों का कहना है कि सेवा सिंधु ऐप पर रजिस्टर करने के बाद भी मजदूरों को हफ्तों से कोई कॉल या मैसेज नहीं मिला है. प्रवासी मजदूर पुलिस स्टेशनों पर लाइन लगा कर खड़े हैं और उन्हें पुलिस से सिर्फ यही सुनने को मिलता है कि जब तक उन्हें सेवा सिंधु ऐप से कोई मैसेज या कॉल नहीं आ जाता तब तक वो पुलिस स्टेशन न आएं. इस प्रक्रिया के चलते मजदूर बुरी तरह परेशान है और घर लौटने की आस में बैठे हुए इंतजार कर रहे है.
बता दें कि मजदूरों का कहना है कि अगर सरकार ने हमें ट्रेन के टिकट नहीं दिए तो हम पैदल ही मजबूरन घर चले जाएंगे. क्योकि अगर यहां रुके तो भूख से मर जाएंगे और पैदल निकले तो शायद रास्ते में मर जाएंगे. लेकिन इसके अलावा हमारे पास कोई चारा नही है. लिहाजा मजदूरों की बेबसी सरकार की खोखली व्यवस्था की कलई खोलती दिख रही है.
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