यूपी मामले में मनुवादी मीडिया ने फिर दिखाई जातिवाद की हेरा-फेरी!
आप लोगो को याद है कि नहीं पता नहीं लेकिन हमें याद रहता है क्यों की बामन मीडिया के कारनामों पर हमारी खास नजर रहती है , वो भी खासकर अपने आप को खुद ही सेक्युलर प्रगतिवादी कहने वाले TV channel और वेब पोर्टल पर. यानी #एबीपी, #एनडीटीवी, #वायर , #द_प्रिंट #न्यूसलॉड्री टाइप पर .
आज जब जाने माने ब्राह्मण अपराधी आतंकवादी #विकास_दुबे जिसने #AK 47 जैसे हथियारों से लैस अपने निजी आंतंकी गिरोह के साथ मिलकर राज्य सरकार की पुलिस के ८ लोगों को जान से मार डाला और अन्य पांच को घायल किया तब इन तथाकथित सेक्युलर मीडिया वालो को वो ना #उग्रवादी नजर आ रहा है ना वो #आतंकवादी मालूम पड़ रहा है . यहां तक कि #एनडीटीवी ने उस सिर्फ #हिस्ट्रीशीटर कहा. उसके आगे कुछ नहीं. निर्लज्जता और बदमाशी तो देखिए कि बीएसपी के साथ उसके धागे डोरे बताने में लग गए मगर उसकी जाती का जिक्र नहीं किया. उसकी प्राइवेट आर्मी पर कोई चर्चा नहीं.७० अपराध किए हुए अपराधी जेल के बाहर कैसे है उसपर कोई चर्चा नहीं, डिबेट नहीं ??
कई चैनलों ने तो उसका नाम विकास यादव करके बताया .
ये मनुवादी #ब्राह्मणवादी_मीडिया वहीं मीडिया है जो मुसलमान और सिख नाम देखते ही आतंकवादी और खालिस्तानी कहता है, अनुसूचित जाती का नाम आते ही उग्रवादी वादी , जनजाति का नाम आते ही नक्सलवादी करार देता है. इन उपाधियों से बिना जांच पड़ताल किए ही नवाज़ देता है.
हां, तो आपको याद दिलाते है इसी नियत को बरकरार रखते हुए #भिमा कोरेगांव, #२अप्रैल का आंदोलन और #मराठाक्रांति_मोर्चा के वक़्त जब बीजेपी ने स्टेट स्पॉन्सर्ड हिंसा कराई थी, जब उस हिंसा में अनुसूचित जाती और बौद्ध युवा मारे गए थे तब एनडीटीवी खबर चलता है ” दलित उग्र कैसे हो गए ” . किस आधार पर उन्हें उग्र कहा गया ये किसी को आज तक नहीं मालूम हुआ. क्या उनके पास हथियार थे ? क्या वो कहीं चढ़ाई करने निकले थे या अपनी मांगे और अपने अस्मिता का प्रदर्शन कर रहे थे ? अगर पहले से ही उग्र थे तो फिर वही लोग कैसे मारे गए ?? किसने मारा उन्हें?
ये तो एक पूरे कम्यूनिटी को खूंखार तरीके से लेबल करने का मामला सेक्युलर बामन मीडिया से शुरू होकर संघी बामन मीडिया तक पहुंचता है ! और ऊपर से ठनस ये की वे लोकतंत्र के पक्ष में है !! उसी सेक्युलर एनडीटीवी के लिए आज उनका जात भाई विकास दुबे ना आतंकवादी है ना उग्रवादी है ना टेररिस्ट है …सिर्फ हिस्ट्रीशीटर है और उसकी तस्वीरें बीजेपी के विधायकों के साथ और वो पूर्व बीजेपी युवा प्रदेश अध्यक्ष होते हुए भी बीएसपी के साथ संबद्ध दिख रहे है.
इन भोले नादान लोगो को ये भी ज्ञान नहीं की सामाजिक और धार्मिक सत्ता जो की बामन द्विज के हाथो में है उसमे से ही कितना बल मिलता है अपराधियों को. उसके ऊपर अगर राजकीय सत्ता भी हो तो विकास दुबे जैसे ब्राह्मण अराजक हो जाते है. २० -२५ साल से मीडिया चलाने वालो को एंकरों को क्या इस बात का इल्म नहीं है ??
बदमाशी की भी हद्द होती है !!
कानपुर_कांड विकासदुबेआतंकवादी बामनबनियामीडिया
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