Home International Political वृंदावन फूड प्रोडक्ट्स कंपनी में अग्रवाल/वैश्य ही हो सकते है शामिल!
Political - Politics - November 8, 2019

वृंदावन फूड प्रोडक्ट्स कंपनी में अग्रवाल/वैश्य ही हो सकते है शामिल!

7 नवंबर के दिन रोज़ की तरह अखबारों में कुछ कंपनियों ने जरूरत के हिसाब से खाली पदों का विज्ञापन दिया. इनमें से एक कंपनी के नौकरी वाले ऐड में कुछ ऐसा लिखा जिसने सबका ध्यान अपनी तरफ खींच लिया. और सोशल मीडिया पर कुछ ही घंटों में ये विज्ञापन भयंकर वायरल होने लगा. इतना वायरल हुआ कि कुमार विश्वास और तेजस्वी यादव के पॉलिटिकल एडवाइजर संजय यादव ने भी इसे शेयर कर दिया. भारती रेलवे में बड़े स्तर पर खाना साप्लाई को लेकर ठेका लेने वाली वृंदावन फूड प्रोडक्ट्स नाम की कंपनी ने हाल ही में विभिन्न पदों पर नौकरियां निकाली. लेकिन भर्ती होने से पहले ही कंपनी सुर्खियों में आ गई. दरअसल कंपनी ने कथा कथित ऊच वण्णिंय जाती के लोगों को ही लेने का फैसला लिया है. यानी की साफ है कि कंपनी के हिसाब से बहुजन या किसी और जाती के लोग नौकरी लेने के लायक ही नहीं. या फिर उन्हें जाती की वजह से कंपनी ने पहले ही साफ माना कर दिया है. बता दे कि वृंदावन फूड प्रोडक्ट्स कंपनी उचे समुदाय के लोगों के अलावा और किसी को काम पर नहीं रखना चहती.

आप को बता दे कि वृंदावन फ़ूड प्रॉडक्ट्स कंपनी को नौकरी के लिए 100 पुरुष वरकर्स चाहिए. लेकिन कंपनी की एक अति-महत्वपूर्ण और अजीबों-गरीब शर्त है. जिसे लेकर साफ पता चलता है कि भारत आज भी जाती का गुलाम है. आज देश में अजादी के 72 साल बाद भी लोग पुरी तरहा अजाद नहीं हो सके. खैर आप को बताते चले की कंपनी में नौकरी के लिए अप्पलाई करने वाले सभी पुरुष अग्रवाल/वैश्य समुदाय के ही होने चाहिए. इन्हें दलित, पिछड़े, आदिवासी, अल्पसंख्यक साथ ही महिला स्टाफ़ बिलकुल नहीं चाहिए. यहां सवाल ये उठता है कि कंपनी को ये हक आखिर दिया किसने? क्योकि रेलवे भारत सरकार की है और सरकार लोगों ने बनाई है. तो फिर वृंदावन फ़ूड प्रॉडक्ट्स कंपनी लोगों और सरकार दोनों का ही अपमान कर रही है. शायद इस लिए भी बिहार में पूर्व डिप्टी CM, RJD नेता और लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव ने इस विज्ञापन का फोटो टि्वटर पर शेयर किया. जिसके बाद लोगों ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं.

कंपनी आपके-हमारे टैक्स से चलने वाली भारतीय रेलवे की महत्वपूर्ण ट्रेनो जैसे की राजधानी, शताब्दी और काई ट्रेनों में खाना सप्लाई करती है. लेकिन कंपनी अपने खाने में बहुजन को शामिल नहीं करना चहती. अब अगर कंपनी के हिसाब से देखा जाए तो मंहगी ट्रेनों में लोग खाना बनाने वाले की जाती भी देखते है.और इस लिए वृंदावन फ़ूड प्रॉडक्ट्स कंपनी ने खाने की जात बना दी. क्या ऐसी जातिवादी और संविधान विरोधी कंपनी का रेलवे से मिला कॉट्रैक्ट समाप्त नहीं होना चाहिए.कंपनी को ब्राह्मण, ठाकुर, जाट, अहीर, गुर्जर, कुर्मी, कुशवाहा, लोध, धोबी, नाई, माली, तेली, मल्लाह, बिंद, बेल्दार, नोनिया, कानू, कुम्हार, चमार, पासी, दुसाध इत्यादि जातियों के लोग नहीं चाहिए. जिस समुदाय के लोगों की ये कंपनी है वो अपनी जाति के लोगों को 100% आरक्षण दे रही है. और शयद यही लोग आरक्षण को सबसे ज़्यादा गालियाँ देते है. अब समझ में आया क्यों मोदी सरकार सरकारी उपक्रमों का निजीकरण करना चाहती है. क्यों ये लोग निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू नहीं करना चाहते. क्योंकि ऐसा करेंगे तो अम्बानियों, अड़ानियों, बिडलाओं जैसे ग्रूप अपने समुदायों को 100% आरक्षण कहाँ से देंगे.

(अब आप नेशनल इंडिया न्यूज़ के साथ फेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब पर जुड़ सकते हैं.)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

Remembering Maulana Azad and his death anniversary

Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…