भीमा कोरेगांव मामला: प्रो.हेनी बाबू को ओबीसी विरोधी मोदी सरकार जबरन प्रताड़ित कर रही है
दिल्ली विश्वविद्यालय में अग्रेजी विभाग के शिक्षक और ओबीसी के हक व समाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले ओबीसी प्रोफेसर हनी बाबू को ओबीसी विरोधी मोदी सरकार जबरन प्रताड़ित कर रही है. बिना किसी वारंट के उनके घर पहुँच कर उनके पूरे परिवार को डराया जा रहा है. हनी बाबू ने हमेशा बहुजनों के लिए आवाज़ उठाया है. यूनाइटेड ओबीसी फोरम के कार्यक्रम में भी वो आते रहे हैं. लेकिन आज उन्हें ये नाजियों की सरकार टारगेट करके उनका उत्पीड़न कर रही है।
एक तो एकेडमिया में पहले से ओबीसी प्रोफेसर और एसोशिएट प्रोफेसर की संख्या जीरो है. अब ये भारतीय नाजियों की सरकार बचे खुचे ओबीसी को भी जीने नहीं दे रही है. वरिष्ठ पत्रकार दिलिप मंडल अपने फेसबुक वॉल पर लिखते हैं कि अगर आप ओबीसी हित के योद्धा प्रोफेसर डॉक्टर हैनी बाबू के साथ नहीं हैं, तो तय मानिए कि आप अपने साथ भी नहीं है. जिस आदमी के संघर्षों के कारण आज हजारों ओबीसी स्टूडेंट दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं, उनके साथ हमें खड़ा होना ही चाहिए। अगर ये नहीं हुआ तो ओबीसी हित के लिए कोई भी शख्स क्यों आवाज उठाएगा. हैनी बाबू प्रोफेसर हैं. पत्नी प्रोफेसर हैं. खाता-पीता परिवार है. हर महीने लाखों रुपए का वेतन है. फिर भी वे कोर्ट रूम से लेकर मंत्रालय तक में आपकी आवाज उठाते हैं. कोई राजनीतिक स्वार्थ भी नहीं है.
आखिर सरकार उन्हें परेशान कर रही है. प्रोफेसर हैनी बाबू जैसे लोग अगर खामोश हो जाएंगे तो फिर आपके लिए कौन बौलेगा?
लेकिन उनके निवास पर बिना वारंट के डाला गया छापा सामाजिक न्याय के एक योद्धा को डराने की कोशिश की है।दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू शिक्षक संघ ने इसकी करते बुए कहा है कि किसी शिक्षक के साथ ऐसा व्यवहार सरासर ग़लत है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और कानूनविद डॉ. हेनी बाबू के घर पुलिस वालों ने पूछताछ की और उनके सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस अपने साथ ले गए।उन्हें बताया नहीं गया है कि ये पूछताछ किस सिलसिले में है। पुलिस ने वारंट नहीं दिखाया।उनके नोएडा स्थित आवास पर कल सुबह 6.30 बजे पुणे पुलिस ने बिना वारंट के 6 घण्टे तक तलाशी ली और पूछताछ कर परेशान किया। ये बेहद आपत्तिजनक और ख़तरनाक क़दम है। एक प्रतिष्ठित संस्थान में प्रोफेसर के साथ ऐसे बर्ताव की कठोर निंदा होनी चाहिए।
प्रो. बाबू की पत्नी डॉ. जेनी दिल्ली के प्रतिष्ठित कॉलेज मिरांडा हाउस में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं, जिनका फ़ोन भी पुलिस ने ले लिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए आपत्ति दर्ज की है। हमें भी हेनी बाबू के साथ खड़ा होना चाहिए। इतना ही नहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी का हर आदमी, जिसने यहां का 2010-2013 का दौर देखा है, वह इस बात की गवाही देगा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में आज अगर कुल 52 हजार एडमिशन में 27 फिसदी OBC आरक्षण लागू है तो उसमें यहीं के इंग्लिश के प्रोफ़ेसर डॉ. हैनी बाबू का बड़ा योगदान है।इस वजह से आज हर साल यहाँ 13 हजार ओबीसी स्टूडेंट्स का एडमिशन हो रहा है।
इस केस को लड़ने से लेकर, पिटीशन तैयार करने, मंत्रियों के सामने इस मामले को रखने, आंदोलन करने से लेकर धरने पर बैठने, हर मौक़े पर हैनी बाबू आगे रहे है. इतना ही नहीं उनकी पत्नी इसी यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. जेनी रेनोआ भी हर कार्यक्रम में शरीक रहीं। कई बार तो वे स्कूल में पढने वाली अपनी बेटी को लेकर भी आंदोलन में लेकर आती थीं। लेकिन फिर भी जिस तरह से हैनी बाबू को बिना वारंट दिये घर की 6 घंटे तक तलाशी ली गई वो काफी चिंता जनक और अफशोसनाक है।
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