भीमराव रामजी को बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर बनाने वाली माता रमाबाई को जन्मदिन पर सत-सत नमन
By:Sushil Kumar
नई दिल्ली। कहते हर इंसान की जिंदगी में महान बनने में एक औरत का सहयोग होता है। भारतीय संविधान निर्माता, बहुजनों के मसीहा और नॉलेज आफिस सिंबल कहे जाने वाले बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के संघर्ष भरे सफर में उन्हें बुलंदियों तक पहुंचाने वाली उनकी पत्नी माता रमाबाई अंबेडकर ही थी। जिन्होंने अपनी खुशियों का त्याग किया, हर दुख- दर्द सहन किया लेकिन बाबा साहेब के मनोबल को कभी डगमगाने नहीं दिया।
बाबा साहेब ने कई बार कहा कि वो खुद को अपनी पत्नी रमाबाई के गुनहगार के तौर पर देखते हैं क्योंकि जीवन के कई मुश्किल पलों में वो उनके नहीं होते थे, पढ़ाई के लिए बाबा विदेश में होते तो माता रमाबाई अकेल ही परिवार की जिम्मेदारी उठाती थी, बच्चों का पालन-पोषण करती, यहां तक कि बाबा साहेब की गैरमौजूदगी में अपने लाडले की मौत का सदमा भी खुद ही बर्दाश्त किया। खराब सेहत के बाबजूद हर वक्त बाबा साहेब को पढ़ने और आंदोलन करने में मदद करती थी।
7 फरवरी 1898 को मुंबई के राजगृह में बेहद गरीब परिवार में माता रमाबाई का जन्म हुआ था। कहा जाता है भीमराव रामजी को डॉ भीमराव अंबेडकर और बाबा साहेब बनाने में सबसे बड़ी भूमिका उनकी पत्नी की ही थी। बाबा साहेब और माता रमाबाई दोनों ने जातिवाद की बेड़ियों में जकड़े अपने असंख्य बच्चे के लिए बहुत बलिदान दिए हैं।
ऐसी महान और बाबा साहेब की सच्ची मित्र उनकी पत्नी रमाबाई को उनके जन्मदिन पर शत-शत नमन। हमारा समाज हमेशा ऐसे महामनों का रिणी रहेगा। जिन्होंने बहुजनों को उनके अधिकार दिलाने के लिए इस जातिवादी समाज में मान-सम्मान दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन खपा दिया।
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