रविदास मंदिर को लेकर जारी हुआ नया फरमान जानिए क्या है वो?
BY_सद्दाम करिमी
दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में मंगलवार 10 सितंबर को लोगों ने रविदास मंदिर स्थल पर जाकर पूजा अर्चना करने की कोशिश की है। हालांकि, पुलिस ने उन्हें पहले वहां पहुंचने से रोक दिया था। बता दें कि इस मंदिर को करीब एक महीने पहले उच्चतम न्यायालय के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया था। पुलिस के मुताबिक करीब 100 लोग गुरु रविदास मार्ग पर जमा हुए और मंदिर की तरफ मार्च किया लेकिन रोके जाने के बाद उन्होंने सड़क पर ही अनुष्ठान किया।
संयुक्त पुलिस आयुक्त दक्षिणी क्षेत्र देवेश श्रीवास्तव ने कहा, हमने पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की थी। और किसी को भी उस स्थल पर जाने नहीं दिया गया। अनुष्ठान शांतिपूर्ण तरीके से पूरा किया गया। वहीं मंदिर को गिराए जाने का विरोध करने वाले संगठनों में शामिल गुरु रविदास मंदिर संयुक्त संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि जब तक मंदिर का दोबारा निर्माण नहीं किया जाता तब तक हर महीने की 10 तारीख को उस स्थान पर पूजा अर्चना की जाएगी।
मंदिर के जमीन लौटाने की मांगः गुरु रविदास आंदोलन के प्रवक्ता अशोक भारती ने कहा कि मंदिर चूंकि 10 अगस्त को ध्वस्त किया गया। इसलिए हर महीने की 10 तारीख को अनुष्ठान करेंगे। हम हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के संतों से मिलने जा रहे हैं और 10 अक्टूबर को बड़े पैमाने पर पूजा करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि समिति ने सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मंदिर की जमीन यथाशीघ्र गुरु रविदास जयंती समर्थ समिति को लौटाई जाए और पिछले महीने हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार लोगों पर से मुकदमा भी वापस लिया जाए। साथ ही रविदास मंदिर पर अखिल भारतीय रविदास संगठन का उत्तर प्रदेश प्रभारी वीर सिंह स्वामी महराज ने नेशनल इंडिया न्य़ूज के संवाददाता से बातचीत में 96 लोगों के रिहा करने की मांग की।
साथ ही उन्होने कई मुद्दों का जिक्र करते मौजूदा सरकार को जमकर कोसा और रविदास मंदिर उसी स्थान पर बनाने की अपील भी की। बहरहाल रविदास मंदर तो प्रमाण होने के बावजूद डीडीए के आदेश पर तोड़ दिया गया। लेकिन बहुजनों में आक्रोश दिन प्रतीदिन बढ़ता ही जा रहा है। साथ ही रिसर्च करने वाले ने बताया कि 1913 के नक्शे में पाया गया कि वहां कोई मंदिर है लेकिन नक्शे में नाम नहीं दिया गया है। लिहाजा मंदिर का मामला तो अब कोर्ट में कोर्ट आदेश पर आगे की कारवाही की जाएगी।
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