मोदी सरकार द्वारा सवर्णों को आरक्षण दिए जाने का निर्णय सिर्फ एक लॉलीपॉप!
एक देश मे एक मानसिक चिकित्सालय में 100 मानसिक रोगी रहते थे, एक दिन उस देश के प्रधानमंत्री का उस चिकित्सालय में दौरा हुआ। प्रधानमंत्री ने दो घण्टे तक ओजस्वी भाषण दिया, मनो-रोगियों ने अपने जाने पहचाने अंदाज में लंबी लंबी छोड़ने वाले इस वक्ता को बड़े ध्यान से सुना।
प्रधानमंत्री श्रोताओं की इस एकाग्रता और अनुशासन से अत्यधिक प्रसन्न हुए। जाते जाते उन्होंने बड़ा उपकार करते हुए मानसिक चिकित्सालय में स्वीमिंग पूल बनाने की घोषणा कर दी। सभी मनोरोगियों ने ताली बजाई, पटाखे जलाए, नारे लगाए। देश विदेश में इस उदार निर्णय की बड़ी तारीफ हुई।
महीने भर में ताबड़ तोड़ स्वीमिंग पूल बन भी गया सभी लोग बड़े प्रसन्न हुए। लेकिन एक साल बाद मनोचिकित्सालय के सभी रोगियों ने सौ हस्ताक्षरों के साथ प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर एक मांग की।
उन्होंने लेटर में लिखा “माननीय महोदय, पिछले साल आपने स्वीमिंग पूल बनवा दिया यह आपने बड़ा उपकार किया, हम आपके बहुत आभारी हैं। पिछले एक साल से हम सब बहुत खुश हैं, दिन भर हम उस स्वीमिंग पूल में तैरते हैं, डुबकी लगाते हैं, और खूब रगड़-रगड़ कर नहाते हैं, अब आपसे निवेदन है कि कृपा करके अब उस स्वीमिंग पूल में पानी भी भरवा दें तो हमे और सुविधा होगी”
इसे चुटकुला मत समझिये, आज जो सवर्ण और अल्पसंख्यक गरीबों के आरक्षण का जुमला उछला है वो भी एक बिना पानी का स्वीमिंग पूल ही है। नौकरियां हैं ही नहीं और चले हैं आरक्षण बांटने। सब रोजगार के अवसर अब प्राइवेट सेक्टर में है, और प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण है नहीं। तब बिना नौकरी के आरक्षण का क्या अचार डालेंगे?
– संजय श्रमण
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