कभी साईकिल पर पानमसाला बेचते थे ‘कोठारी’ अब अरबों के घोटाले में फंसे
By- Aqil Raza
पीएनबी की मुंबई ब्रांच से 11384 करोड़ रुपये का घोटाले के सामने आने के बाद रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी की तरफ से 3695 करोड़ रुपये की हेराफेरी की बात सामने आई है. अधिकारियों का कहना है कि रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को 2008 से बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में बैंकों के एक ग्रुप ने 2919 करोड़ रुपये का लोन दिया था लेकिन भुगतान में कई बार चूक होने के कारण ब्याज मिलाकर यह राशि 3695 करोड़ रुपये हो गई.
CBI विक्रम कोठारी के कानपुर स्थित घर पर पिछले 20 घंटे से ज्यादा समय से छापेमारी कर रही है. सोमवार तड़के कोठारी के कानपुर स्थित आवास संतुष्टि में जांच के लिए पहुंची सीबीआई की टीम मंगलवार तक मौजूद है. वहीं, सोशल मीडिया में कोठारी के देश छोड़ने की खबरें आई थीं। इसके बाद कोठारी ने कहा कि वे भागे नहीं हैं।
रविवार को वे कानपुर की एक शादी में देखे गए। सीबीआई ने रोटोमैक कंपनी और इसके डायरेक्टर्स के खिलाफ बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर केस दर्ज किया है। शिकायत में कहा गया है कि रोटोमैक और विक्रम कोठारी समेत 3 डायरेक्टर्स ने 7 बैंकों के 3695 करोड़ रुपए नहीं चुकाए, इन लोगों ने धोखाधड़ी करके ये लोन हासिल किया था। उधर, एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने भी विक्रम कोठारी के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग का केस दर्ज किया है।
नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के बाद चर्चा में चल रहे विक्रम कोठारी और उनके पिता के परिवार के संघर्ष की कहानी लंबी है. विक्रम और उनके पिता ने शुरुआत में पान मसाले का व्यवसाय शुरू किया था.
हिंदी के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के अनुसार विक्रम कोठारी के पिता एक समय कानपुर में साइकिल चलाकर पान मसाला की बिक्री किया करते थे. धीरे-धीरे बाजार में ‘पान पराग’ की पकड़ मजबूत होती गई. कोठारी ग्रुप का बिजनेस नई ऊंचाई पर पहुंचा तो बंटवारा हो गया. अखबार का दावा है कि विक्रम के पिता मनसुख कोठारी 50 के दशक में कानपुर में साइकिल चलाकर पान मसाला की बिक्री करते थे.
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