भागवत के बाद उमा भारती ने सेना को किया अपमानित, दिया ये बड़ा बयान !
By- Aqil Raza
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अपने सेना वाले बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। उन्होंने कहा था कि आरएसएस देश की रक्षा के लिए तैयार है और अगर देश को जरूरत पड़ी तो वो तीन दिन में ही सेना के रूप में मातृभूमि की रक्षा के लिए तैयार हो जाएंगे। भागवत के इस बयान के बाद विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया और इसे देश के लिए जान न्योछावर करने वालों जवानों का अपमान बताया।
हालांकि अब भाजपा की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने बेबुनियादी दावा किया है कि आजादी के कुछ ही समय बाद जब पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आरएसएस से मदद मांगी थी।
उमा भारती ने कहा कि आजादी के बाद कश्मीर के राजा महाराजा हरि सिंह संधि हस्ताक्षर नहीं कर रहे थे और शेख अब्दुल्ला ने हस्ताक्षर करने के लिए उन पर दबाव डाला। इस बीच नेहरू दुविधा में थे। फिर पाकिस्तान ने अचानक हमला कर दिया और उसके सैनिक उधमपुर की तरफ बढ़ने लगे। उस समय नेहरूजी ने गुरू गोवलकर (तत्कालीन आरएसएस प्रमुख एम एस गोवलकर) आरएसएस के स्वयंसेवकों की मदद मांगी, जिसके बाद आरएसएस स्वयंसेवक मदद को जम्मू-कश्मीर गए थे।
आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उमा भारती का ये दावा कितना सही है, यह तो जाहिर है कि भागवत के बाद अब उमा ने जवानों को अपमानित किया है। गौरतलब है देश की आज़ादी की लड़ाई में सभी ने अपना खून बहाया था लेकिन आरएसएस पर आरोप लगते रहे हैं कि संघ के किसी भी सदस्य ने जंगे आजादी में हिस्सा नहीं लिया था और आज देश भक्ती का ढोंग रचकर देश की सुरक्षा की बात करते हैं। सेना का अपमान करने वाली ऐसी शाखाओं के खिलाफ क्या कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?
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