8 वीं पास युवती ने बनाया 22,000 महिलाओं को आत्मनिर्भर
नमन: श्रीमती रूमा देवी कुमावत
8 वीं पास युवती ने बनाया 22,000 महिलाओं को आत्मनिर्भर । राजस्थान के बाड़मेर जिले में एक युवा महिला श्रीमती रूमा देवी कुमावत, जिसका विवाह महज 17 वर्ष की उम्र में हो गया था, वह आपनी जिजीविषा से परिस्थितियों से जूझ रही थी। वह बैग और कुशन कवर बनाती थीं लेकिन आय बहुत कम हो रही थी।
गरीबी और विषम परिस्थितियों से मुकाबला करते हुए कुछ अलग करने का निश्चय किया। अपने गांव की निरक्षर महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये दस महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह बनाया और हर महिला से सौ रुपये लिए। इस पैसे से जरूरी सामान लेकर उन्होंने परिधान बनाने का निश्चय किया। यह परिधान जब अच्छी कीमत में बिका तो महिलाओं की हिम्मत बढ़ गई।
इसके बाद इन महिलाओं ने ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान नामक NGO की सदस्यता ली। अपनी मेहनत के बलबूते महज दो साल बाद ही यह युवती इस संस्थान की अध्यक्ष बन गयी। आज इस युवती के नेतृत्व में इस समूह की प्रत्येक सदस्य हर महीने 3,000 से 10,000 रुपये कमा रही है।
उनका एनजीओ महिलाओं को प्रशिक्षण और विपणनन के गुर भी सिखाता है। आज यह हालत है कि वह बाड़मेर के मंगला की बेड़ी गांव सहित तीन जिलों के 75 गांव में 22000 महिलाओं को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं।
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके रुमा देवी कुमावत को राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा राष्ट्रपति भवन में भारत में महिलाओं के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “नारी शक्ति पुरस्कार” प्रदान कर सम्मानित किया गया | यह सम्मान उस संघर्ष का सम्मान है जो रूमा देवी कुमावत ने प्रतिकूल परिस्थितियों में किया।
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