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Social - State - December 13, 2017

राजसमंद केस: रेगर समाज के युवाओं ने शंभूलाल रेगर का किया विरोध, बताया हत्यारा

नई दिल्ली। राजस्थान के राजसमंद में जिंदा जलाए जाने की घटना का हर ओर विरोध हो रहा है। यहां तक कि जिस समुदाय से हत्यारा आता है यानि की रैगर कम्युनिटी भी उसका विरोध कर रही है। लेकिन उसी समाज का एक छोटा सा तबका शंभूलाल रेगर को उसे निर्दोष करार दे रहा है।

प्रायोजित रेगर युवा महासभा ने शंभूलाल रैगर का पक्ष लेते हुए ज्ञापन देकर कहा है कि शंभूलाल रैगर की लाइव मर्डर की वीडियो फर्जी है और उसमें एडटिंग करके संप्रदायिक माहौल तैयार करने के लिए शंभूलाल को फंसाने की कोशिश हो रही है।

तो वहीं दूसरी तरफ अंबेडकरवादी रेगर युवाओं में शर्मशार करने वाली इस घटना से जबरदस्त आक्रोश है। खबरों के मुताबिक जहाजपुर के भवानी रेगर जो कि अंबेडकर विचार मंच के अध्यक्ष रहे हैं. उन्होंने रेगर युवा महासभा चित्तौड़गढ़ के अस्तित्व पर ही सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि ‘ये कागजी संगठन है. इसके लोग एक विचारधारा विशेष के पालतू हैं, वो ऐसे ज्ञापन का पुरजोर विरोध करते हैं. ये ज्ञापन रेगर समुदाय को बदनाम करने के लिए दिलाया गया है यह फासीवादी ताकतों का काम है।

सोशल मीडिया के जरिए अपने गुस्से का इजहार करते हुए महावीर प्रसाद रेगर लिखते हैं कि- सादे कागज पर टाईप किए गए ज्ञापन में जिस युवा रेगर महासभा का जिक्र है वैसी कोई महासभा है ही नहीं. यो तो संघ के टुकड़ो पर पल रहे कुछ लोग है जो समाज के लिए शर्मिंदगी का कारण बन रहे हैं।

दौलतगढ़ के सी एम नुवाल का मानना है कि ये भगवा की आड़ में दलित समुदाय के लोगों से ऐसे अपराध करवा कर पूरे समाज को बदनाम करते हैं, शम्भू जैसे लोगों के लिए रेगर समाज मे कोई जगह नही है।

एक अन्य फेसबुक यूजर अशोक चौहान रेगर लिखते हैं कि हिन्दू-हिन्दू चिल्लाने वाले अब शम्भू लाल को शम्भू हिन्दू नहीं लिख रहे हैं, वे जोर जोर से शम्भू रेगर रेगर चिल्ला रहे हैं, ताकि हमारा समाज बदनाम हो जाए।

अम्बेडरवादी युवा दिनेश कुमार रेगर ने कहा कि मैंने बहुत लज्जित महसूस किया कि अपराधी मेरे समुदाय का है, मैं शम्भू जैसे भगवा गुंडे के कृत्य को अक्षम्य अपराध मानता हूं और उसके लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग करता हूँ।

तो वहीं इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है कि ‘देश भर में, अनुसूचित जाति के किसी भी संगठन ने राजसमंद की घटना का समर्थन नहीं किया. सबने इसकी निंदा की. शंभू रैगर को उसकी अपनी बिरादरी तक ने नकार दिया है. यही इंसानियत है जो दर्दमंद के साथ खड़ा हो और ऐसा करते समय यह न देखे कि जुल्मी अपनी बिरादरी का है या नहीं.

 

कुल मिलाकर रेगर समाज के भीतर इस वक्त तीखी बहस जारी है. जिसमें एक तरफ जातीय अस्मित की धार पैनी कर रहे लोग हैं जो ढकी छुपी जुबान से शंभूलाल को भटका हुआ नौजवान बता रहे हैं. वहीं एक छोटा सा तबका संघ भाजपा का कैडर भी बताया जा रहा है जो खुल कर शंभूलाल के कृत्य के पक्ष में नित नए कुतर्क गढ़ रहा है।

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