नागरिकता संशोधन बिल के जरिए ‘अंबेडकर’ के सपनो को चूर-चूर कर देना चाहते हैं: संजय सिंह
नागरिकता संशोधन बिल के लोकसभा से पास होने के बाद से बात हो रही है कि भारत को बदल दिया गया है. कुछ कहते हैं कि भारत पाकिस्तान की मिरर इमेज बन रहा है. भारत के संविधान के मुताबिक, किसी भी नागरिक से भेदभाव नहीं किया जा सकता. इसलिए जानकार आर्टिकल 14 पर चर्चा कर रह हैं और कह रहे हैं कि सिटिजन अमेंडमेंट बिल बराबरी के अधिकार पर चोट करता है. बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारत की नागरिकता हासिल कर सकते हैं. इस बिल में मुस्लिमों को नागरिकता देने का जिक्र नहीं है.
हालांकि विधेयक में यह भी कहा गया है कि पूर्वोत्तर के जिन राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, सिक्किम और मिजोरम) में ‘इनर लाइन परमिट’ व्यवस्था और जो क्षेत्र संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं, उन्हें इस विधेयक के दायरे से बाहर रखा जाएगा.
नागरिकता संशोधन बिल (CAB) को संविधान की मूलआत्मा को नष्ट करने वाला बताते हुए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि , “देश के संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ कोई भी कार्रवाई होगी हम उसका विरोध करेंगे.
नागरिकता संशोधन विधेयक CAB बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के सपनो को, संविधान की आत्मा को नष्ट करने वाला है। इसीलिए ‘आप’ इसका विरोध करेगी. ”उनका ये भी कहना है कि आज उत्तर प्रदेश और बिहार के जो भी सांसद इस विधेयक CAB के साथ खड़े हैं उनको बाद में बहुत पछताना पड़ेगा. क्योंकि ये वही लोग हैं जिनके राज्य के लोगों को गुजरात और महाराष्ट्र में मारा पीटा गया.
संजय सिंह ने दावा किया कि देश में एनआरसी लागू करके भाजपा पूर्वांचलियों को गुजरात और महाराष्ट्र से भगाएगी. प्याज 200 रुपये किलो हो गई थी, महंगाई देश के अंदर बढ़ गई थी, बेरोजगारी 45 वर्षों में सबसे ज्यादा हो गई थी, ऑटोमोबाइल सेक्टर में बेरोजगारी, कृषि सेक्टर में गिरावट हो गई थी, मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में गिरावट, हर सेक्टर में बवाल मच गया है.
यही कारण है कि इन मुद्दों पर चर्चा ना हो इसीलिए नागरिकता संशोधन बिल CAB लाया गया है.
उन्होंने कहा कि इस देश का जो भी संवेदनशील देश से मोहब्बत करने वाला व्यक्ति होगा वो इस बिल का विरोध करेगा. वही पूरे पूर्वोत्तर के राज्यों में इस बिल CAB के खिलाफ बवाल मचा हुआ है.
दूसरी और इनदिनों भारतीय मीडिया की हालत ऐसी ही हो गई है. अगर सरकार के फैसले पर कोई सवाल उठा दे तो जनता की नजर में उसे देशद्रोही बना देती है. सच में जब इतिहास लिखा जाएगा तब भारतीय मीडिया की भूमिका पर जमकर सवाल उठेंगे. गोदी तक ठीक थी लेकिन अब खुलकर खूंखार हो चुकी इस मीडिया ने सारे हदें पार कर दी हैं.
सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल पर लगातार मीडिया खतरनाक खबरें प्रसारित कर रहा है. जिसपर वरिष्ठ पत्रकार उमाशंकर सिंह लिखते हैं कि ‘विभाजन के समय अगर न्यूज़ चैनल्स और व्हाट्सएप होते तो कोई ज़िंदा नहीं बचता.’
अब भारत के सामने सवाल है कि भारत को कैसा समाज बनना है? भारत को व्यक्ति पर आधारित समाज बनाना है या फिर आइडेंटिटी पर आधारित समाज बनाना है. ये सब ऐसे वक्त में हो रहा है जब बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, कुपोषण जैसी समस्याएं भारत के सामने खड़ी हैं. क्या ये ध्यान भटकाने की कोशिश तो नहीं है? अभी भारत को 10-12 फीसदी ग्रोथ की जरूरत है.
राज्यसभा में बिल को पास कराने के लिए बीजेपी को एनडीए से बाहर दूसरे दलों का समर्थन चाहिए होगा. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि वह कौन से दल होंगे जो धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाले बिल का समर्थन करेंगे.
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