सुप्रीम कोर्ट के SC, ST एक्ट फैसले के खिलाफ बहुजनों में भयानक आक्रोश, 2 अप्रैल को भारत बंद का ऐलान
By- Aqil Raza
सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट पर सुनाए गए फैसले के खिलाफ बहुजनों में भयानक आक्रोश है, देश भर में बहुजन समाज के लोग इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. तमाम जगाहों पर बहुजन सड़कों पर उतर आएं हैं. मध्यप्रदेश के ग्वालियर से लाखन सिंह बौद्ध अपने साथियों के साथ 5 दिन लगातार पैदल चलने के बाद आज सुप्रीम कोर्ट का घेराव करने के लिए दिल्ली पहुंचे, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट पर प्रदर्शन की इजाजत नहीं होने का हवाला देते हुए रोक लिया बावजूद इसके प्रदर्शनकारी लगातार सुप्रीम कोर्ट और मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते रहे।
यूपी के हापुड़ में भी आज बहुजन समाज के हजारों युवा इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरे, प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पूरे बहुजन समाज ने 2 अप्रैल को भारत बंद का ऐलान किया है. सड़को से लेकर सोशल मीडिया तक बहुजन समाज के लोगों में इस फैसले के खिलाफ आक्रोश है. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट को यह फैसले को वापस लेना चाहिए, क्योंकि इस तरह से एससी-एसटी एक्ट को कमजोर करने से बहुजनों पर अपराध बढ़ जाएगा. साथ ही उनका कहना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट अपने इस फैसले को वापस नही लेगा तो उनका प्रदर्शन और भी भयानक रुप ले लेगा.
आपको बता दे बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के एक केस में सुनवाई करते हुए एससी, एसटी एक्ट का गलत इस्तेमाल होने की बात मानी थी और इसको निष्प्रभावी करने की बात कही थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि एससी,एसटी एक्ट में किसी भी सरकारी कर्मचारी की फौरन गिरफ्तारी नहीं होगी पहले उस मामले की डीएसपी रैंक का अधिकारी जांच करेगा. उसके बाद आरोपी को गिरप्तार किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले से बहुजन समाज में भयानक आक्रोश है. बहुजनों का ऐसा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट को इस तरह से कमजोर करने से बहुजन समाज पर अत्याचार का सिलसिला और तेज हो जाएगा. अपराधियों को खुली छूट और जुल्म करने का लाइसेंस मिल जाएगा. वहीं इस फैसले के खिलाफ विपक्षी दलों ने भी मोदी सरकार को घेरना शुरु कर दिया है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर बहुजन विरोधी होने का आरोप लगाया, उन्होंने इस फैसले को मोदी सरकार की साजिश करार दिया. साथ ही एनडीए में शामिल बहुजन सांसदो ने भी इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की. लगातार विपक्षी दलों के निशाने के बाद और बहुजन सांसदो की मांग पर मोदी सरकार ने अब इस केस में सुप्रीम कोर्ट में जाने का मन बना लिया है.
लेकिन सवाल इस बात का है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कभी आरक्षण विरोधी तो कभी एससी-एसटी एक्ट को कमजोर करने वाले इस तरह के फैसले क्यों सुनाए जाते हैं. एक ऐसे वक्त में जब लगातार बहुजन समाज पर जुल्म-अत्याचार की खबरें हमारे सामने आती रहती है तब एक्ट को कमजोर किए जाने का यह फैसला अपने आप में चिंता की बात है. अच्छा होता अगर बहुजनों के खिलाफ होने वाली जुल्म- अत्याचार की घटनाओं पर और ज्यादा सख्त सजा का प्रावधान किया जाता. सवाल यह भी है कि ऐसा कौन सा कानून है जिसका थोड़ा बहुत गलत इस्तेमाल नहीं होता, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि कानून को ही कमजोर कर दिया जाए.
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