उर्जित पटेल!!! क्या भारतीय अर्थव्यवस्था के हालात इतने ज्यादा बिगड़ गए हैं???
नई दिल्ली। भारत के केंद्रीय बैंक आरबीआई के गवर्नर इस्तीफ़ा दे देता है, वजह सरकार चाहे जो भी बता रही हो पर ये इस्तीफा भयंकर तबाही का इशारा है। इस इशारे के पीछे कई सारे पुश फैक्टर हैं।
नोटबन्दी और नए नोटों में किए गए घोटालों को पचा लेने वाले उर्जित पटेल ऐसे चले क्यों गए? क्या सबकुछ ठीक चल रहा है? उर्जित पटेल ने अर्थव्यवस्था की बर्बादी की हद तक मोदी का साथ दिया है। पर अब हालात इतने खराब हो गए हैं कि उर्जित पटेल भी खुद को बचाने लायक नहीं बचे हैं। आज केवल लंबे समय से मोदी सरकार और आरबीआई चीफ के बीच की तकरार का पटापेक्ष हुआ है।
मोदी ने खेती-किसानी बर्बाद की लेकिन अंबानी-अडानी के उद्योग खूब फले-फूले। लोग अपनी मेहनत की कमाई के नोट बदलवाने के लिए लाइन में लगकर मर गए और दूसरी तरफ़ विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे लोग सरकारी बैंकों के कई हज़ार करोड़ रुपये लेकर भाग गए। 5 साल में नौकरियां घट कर आधी रह गई, बेरोजगारों की संख्या अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर है। हर ग्लोबल इंडेक्स में हमारा देश फिसड्डी साबित हुआ है। गैस, पेट्रोल, दाल-आटे के भाव आसमान पर पहुँच गए और इस देश के बेवकूफ लोग हिंदू-मुस्लिम करते हुए मंदिर के नाम पर छाती पीट रहे।
और तो और कई राज्यों जैसे-मध्यप्रदेश, झारखंड, मणिपुर, छत्तीसगढ़, तेलंगाना आदि में सरकारी कर्मचारियों को 3 महीने से वेतन नहीं मिला है क्योंकि सरकार के पास सरकारी कर्मचारियों को पेमेंट देने के लिए पैसे नहीं है। आपकी मेहनत के अपने पैसे अब बैकों में भी सुरक्षित नहीं है पता नहीं कब आपका बैंक खुद को दिवालिया घोषित कर दे।
कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था का भट्टा बैठ गया है। और ऐसी हालत हो गई है कि 20 साल तक भी हालात नहीं सुधरने वाले। ऐसे ही नहीं लगातार 4 आर्थिक सलाहकारों और अब आरबीआई गवर्नर ने इस्तीफा दिया है।
आगे आने वाला समय बहुत ख़ौफ़नाक होगा उनके लिए जो बेचारे पहले से ही कमज़ोर है। क्योंकि रईसों की न तो छत टपकती है और ना ही आंखें।
-दिपाली तायड़े, सोशल एक्टीविस्ट
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